मुंबई, 03 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। न्यूजीलैंड की महिला सांसद लॉरा मैक्लर ने संसद में खुद की एक एआई से बनाई गई न्यूड तस्वीर दिखाकर सबको चौंका दिया। उन्होंने यह कदम लोगों को यह बताने के लिए उठाया कि डीपफेक तस्वीरें कितनी आसानी से बनाई जा सकती हैं और यह तकनीक कितना खतरनाक साबित हो सकती है। लॉरा ने बताया कि उन्होंने गूगल सर्च से मिली एक वेबसाइट की मदद से सिर्फ कुछ ही मिनटों में यह फर्जी तस्वीर बना ली। उनका उद्देश्य था यह साबित करना कि एआई तकनीक का गलत इस्तेमाल कितनी गंभीर समस्याएं खड़ा कर सकता है। लॉरा ने 14 मई को संसद में यह तस्वीर दिखाते हुए कहा कि तकनीक खुद में समस्या नहीं है, बल्कि इसका दुरुपयोग कर लोगों को नुकसान पहुंचाना असली चिंता है। उन्होंने डीपफेक और एआई के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त कानून की मांग की है। उन्होंने यह भी बताया कि यह तस्वीर असली नहीं है लेकिन इसे बनाने में उन्हें पांच मिनट से भी कम समय लगा।
न्यूजीलैंड में फिलहाल डीपफेक को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है, हालांकि डिजिटल कम्युनिकेशन से जुड़े कुछ नियम जरूर मौजूद हैं। लॉरा मैक्लर डीपफेक डिजिटल हार्म एंड एक्सप्लॉइटेशन बिल का समर्थन कर रही हैं जो मौजूदा रिवेंज पोर्न और निजी रिकॉर्डिंग संबंधी कानूनों को और सख्त बनाएगा। इस बिल के तहत किसी की सहमति के बिना डीपफेक फोटो या वीडियो बनाना और शेयर करना अपराध माना जाएगा। जानकारों का कहना है कि डीपफेक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अश्लील कंटेंट बनाने में हो रहा है और इनका मुख्य निशाना महिलाएं होती हैं। लॉ एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन मौजूद 90 से 95 प्रतिशत डीपफेक वीडियो गैर-सहमति आधारित अश्लील कंटेंट होते हैं जिनमें 90 प्रतिशत महिलाओं को निशाना बनाया गया होता है।
लॉरा ने बताया कि डीपफेक फोटो बनाने वाली साइट पर सिर्फ एक बॉक्स में टिक करना होता है जिससे यह जताया जाता है कि आप 18 साल से ज्यादा उम्र के हैं और जिस व्यक्ति की तस्वीर बना रहे हैं, उसकी सहमति आपके पास है, जबकि असल में ऐसा होता नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें कई ऐसे लोग मिले हैं जिन्हें डीपफेक के जरिए धमकी या सेक्सटॉर्शन का सामना करना पड़ा है, और यह युवाओं की मानसिक सेहत को गहरा नुकसान पहुंचा रहा है। मैक्लर का प्रस्तावित कानून डिजिटल शोषण, अश्लीलता और आपत्तिजनक रिकॉर्डिंग को रोकने से जुड़ा है। इसमें पीड़ितों को आपत्तिजनक सामग्री हटवाने और मुआवजा पाने का अधिकार देने की बात कही गई है। साथ ही किसी की फोटो या वीडियो को बिना अनुमति इस्तेमाल करने को कानूनी अपराध मानने का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि न्यूजीलैंड सरकार की ओर से अभी तक इस बिल को सरकारी समर्थन देने की पुष्टि नहीं की गई है।