अहमदाबाद न्यूज डेस्क: 12 जून को अहमदाबाद में लंदन जा रहे बोइंग ड्रीमलाइनर विमान के क्रैश के महज चार दिन बाद ही एयर इंडिया के 112 पायलटों ने ‘सिक लीव’ यानी बीमारी की छुट्टी ले ली। यह वही विमान हादसा था जिसमें 270 से अधिक लोगों की जान गई थी। अब लोकसभा में इसको लेकर सवाल पूछा गया, जिसके जवाब में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कुछ अहम जानकारी साझा की है।
मंत्री ने बताया कि 16 जून 2025 को कुल 112 पायलटों ने बीमारी की छुट्टी ली, जिनमें 61 फर्स्ट ऑफिसर और 51 कमांडर शामिल थे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसे सामूहिक छुट्टी या संगठित विरोध के तौर पर नहीं देखा जा सकता। एयर इंडिया के अनुसार यह संख्या मामूली बढ़ोतरी के तौर पर दर्ज की गई है, और इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया गया है।
हालांकि, हादसे के ठीक बाद इतनी बड़ी संख्या में पायलटों का छुट्टी पर जाना कुछ सवाल तो खड़े करता ही है। माना जा रहा है कि हादसे ने पायलट कम्युनिटी पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर डाला है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्री मोहोल ने पायलटों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की बात भी कही और कहा कि ऐसे मामलों में समय रहते पहचान और इलाज ज़रूरी है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह तो साफ है कि विमान हादसों का असर सिर्फ पीड़ितों और उनके परिवारों तक सीमित नहीं रहता। फ्लाइट क्रू और पायलटों पर भी इसका गहरा असर पड़ता है — मानसिक रूप से, भावनात्मक रूप से और पेशेवर रूप से।