अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद के चंडोला तालाब क्षेत्र में मंगलवार सुबह फिर से बुलडोज़र गरजे। दूसरे चरण की डिमोलिशन ड्राइव में घरों को गिराए जाने का सिलसिला जारी रहा, जिससे इलाका चीखों और सिसकियों से भर गया। कई परिवारों को तपती धूप में अपने टूटते घरों को देखने के अलावा कुछ नहीं सूझा। पुलिस की कड़ी निगरानी में यह कार्रवाई की गई, जो कथित रूप से बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध कब्जों के खिलाफ है।
इस मुहिम की शुरुआत करीब दो हफ्ते पहले सियासत नगर के बंगाली मोहल्ले से हुई थी, लेकिन अब यह डिमोलिशन पूरे इलाके में फैल चुकी है। मंगलवार को जब प्रशासनिक टीमें पहुंचीं, तो कई लोग अपना सामान समेटने की कोशिश कर रहे थे—दरवाजे, खिलौने, टूटी साइकिलें और घरेलू चीजें। लेकिन बहुतों के लिए वक्त कम पड़ गया और उनके घर मलबे में बदल गए।
इस अभियान में अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक, एडिशनल कमिश्नर शरद सिंघल और नगर निगम की टीमें मौजूद थीं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें घर खाली करने के लिए कोई लिखित नोटिस नहीं दिया गया था, सिर्फ चार दिन पहले मौखिक चेतावनी दी गई थी। इस दौरान धार्मिक स्थलों को हटाने से फिलहाल परहेज़ किया गया है।
पुलिस के मुताबिक, इस इलाके से 2022 में अल-कायदा से सहानुभूति रखने वाले चार लोगों को पकड़ा गया था। इसके बाद राज्य में एक बड़ा अभियान शुरू हुआ, जिसमें अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और पाटन से अब तक 450 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें से कई को बांग्लादेश वापस भेजा जा चुका है, जबकि कुछ को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।