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रेपो रेट में कमी से कितनी कम होगी आपकी EMI? 20 लाख के होमलोन से समझें

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Posted On:Saturday, June 7, 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस साल 2025 में तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर दी है। इस ताज़ा कटौती के साथ ही रेपो रेट 6.50% से घटकर अब 5.50% हो गया है। इस साल फरवरी में जहां रेपो रेट 6.50% से 6.25% किया गया था, वहीं अप्रैल में इसमें फिर से 0.25% की कटौती हुई थी। और अब जून में आरबीआई ने 0.50% की बड़ी कटौती की है। यानी 2025 में अब तक कुल 1 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।

इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा, क्योंकि जब RBI ब्याज दरों में कटौती करता है तो बैंक भी अपने ग्राहकों को सस्ते दरों पर लोन देना शुरू कर देते हैं। इससे EMI घटती है और जेब पर बोझ कम होता है।


EMI कम, बचत ज़्यादा: 20 लाख के होम लोन से समझें असर

मान लीजिए आपने 20 लाख रुपये का होम लोन लिया है, जिसकी ब्याज दर 7% थी। इस पर आपकी मासिक EMI लगभग ₹17,977 बनती है। अब जब ब्याज दर 6.5% या उससे भी नीचे यानी 5.5% तक पहुंच गई है, तो आपकी नई EMI लगभग ₹17,422 हो जाएगी। यानी हर महीने ₹555 की बचत होगी।

इस हिसाब से:

  • सालाना बचत: ₹6,660

  • 15 साल की अवधि में बचत: ₹1 लाख से ज्यादा

यह एक छोटी सी कटौती से होने वाला बड़ा फायदा है जो आम आदमी की वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकता है।


गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान

रेपो रेट कटौती की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह फैसला वैश्विक बाजार में अनिश्चितता, घरेलू महंगाई नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए लिया गया है।

गवर्नर के अनुसार:

  • रेपो रेट: 5.50%

  • महंगाई अनुमान: 3.7%

  • GDP ग्रोथ अनुमान: 6.5%

  • CRR (कैश रिजर्व रेशियो): 4% से घटाकर 3%

  • SDF रेट: 5.75% से घटाकर 5.25%

  • MSF रेट: 6.25% से घटाकर 5.75%


रेपो रेट, SDF और MSF क्या हैं?

  1. रेपो रेट (Repo Rate): यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंकों के लिए पैसे उधार लेना सस्ता हो जाता है और वे ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देते हैं।

  2. SDF रेट (Standing Deposit Facility): यह दर वह ब्याज है जो बैंकों को बिना किसी सुरक्षा के RBI में अतिरिक्त नकदी जमा करने पर मिलती है। यह सुविधा 2018 में शुरू की गई थी।

  3. MSF रेट (Marginal Standing Facility): यह दर उस ब्याज को दर्शाती है जिस पर बैंक अपनी सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर RBI से इमरजेंसी लोन लेते हैं।

ये तीनों दरें RBI की मौद्रिक नीति के अहम उपकरण हैं जिनसे बैंकिंग सिस्टम में नकदी प्रवाह और क्रेडिट की लागत नियंत्रित की जाती है।


कौन होंगे इस फैसले से सबसे ज़्यादा लाभान्वित?

1. होम लोन धारक

अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, तो आपकी EMI तुरंत कम हो सकती है। फिक्स्ड रेट पर लिए गए लोन पर असर धीरे-धीरे दिखेगा।

2. नए लोन लेने वाले ग्राहक

जिन्हें नया होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लेना है, उनके लिए यह सबसे बेहतर समय है। अब बैंक कम ब्याज पर लोन ऑफर करेंगे।

3. बिजनेस और इंडस्ट्री

कम ब्याज दरों से कंपनियों को अपने निवेश और विस्तार के लिए सस्ता फंड मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।


यह राहत कब तक चलेगी?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि महंगाई की दर कितनी नियंत्रित रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में क्या रुझान रहते हैं। फिलहाल RBI ने संकेत दिए हैं कि अगर मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में बनी रही और वैश्विक अस्थिरता कम हुई, तो भविष्य में और कटौती की संभावना बनी रह सकती है।


निष्कर्ष

2025 में अब तक की तीन रेपो रेट कटौतियों ने आम जनता को राहत की सांस दी है। इससे न सिर्फ EMI घटेगी बल्कि घर, गाड़ी या शिक्षा के लिए लोन लेना भी आसान हो जाएगा। आरबीआई की यह नीति महंगाई पर नियंत्रण, निवेश बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बैंक कितनी जल्दी अपने लोन प्रोडक्ट्स पर ब्याज दरें घटाते हैं और उपभोक्ताओं को इसका वास्तविक लाभ कब तक और कैसे मिलता है। फिलहाल इतना तय है कि आरबीआई के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की पूरी उम्मीद है।


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