पूर्वोत्तर भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने और क्षेत्रीय विकास को गति देने के उद्देश्य से आयोजित ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट’ में अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनका समूह आने वाले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर भारत में 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करेगा। इस घोषणा ने न केवल इस क्षेत्र के आर्थिक भविष्य को उज्ज्वल किया है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को भी एक मजबूत समर्थन दिया है।
पहले ही कर चुके हैं 50,000 करोड़ का वादा
गौतम अडाणी ने बताया कि कुछ महीने पहले ही असम में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई थी। और अब इस नई घोषणा के साथ अडाणी ग्रुप का कुल निवेश 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। यह किसी एक कॉरपोरेट समूह द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में किया गया अब तक का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना
गौतम अडाणी ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की खुले दिल से प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ ने इस क्षेत्र को पहली बार राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकता सूची में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद प्रधानमंत्री के 65 से अधिक व्यक्तिगत दौरे, 6.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश, 16,000 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क, और 18 हवाई अड्डों का निर्माण इस बात का प्रमाण हैं कि ये सिर्फ योजनाएं नहीं, बल्कि "सबका साथ, सबका विकास" के सिद्धांत की जीवंत मिसाल हैं।
पूर्वोत्तर को आर्थिक शक्ति बनाने की दिशा में बड़ा कदम
23 मई को ‘भारत मंडपम’ में आयोजित इस समिट का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने किया। यह दो दिवसीय आयोजन (23-24 मई) केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिसका मुख्य उद्देश्य निवेश को बढ़ाना और पूर्वोत्तर भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
किन क्षेत्रों में होगा निवेश?
समिट में पर्यटन, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण, टेक्सटाइल, हथकरघा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आईटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे।
इसके अलावा, समिट से पहले कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ जैसे रोड शो, राउंड टेबल मीटिंग्स, राजदूतों से चर्चा, और व्यवसायिक चैंबरों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य निवेशकों को आकर्षित करना और क्षेत्र की संभावनाओं को प्रस्तुत करना था।
पूर्वोत्तर भारत: भविष्य का विकास केंद्र
गौतम अडाणी ने समिट के दौरान अपने संबोधन में कहा, “पूर्वोत्तर भारत सिर्फ सीमाओं से घिरा हुआ भू-भाग नहीं है, यह अवसरों की भूमि है। यह क्षेत्र भारत की नई विकास गाथा का केंद्र बन रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह बदलाव केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोच में आए परिवर्तन का परिणाम है, जहां अब सीमाएं नहीं, संभावनाएं देखी जा रही हैं।
निष्कर्ष
‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट’ के जरिए पूर्वोत्तर भारत के लिए निवेश का नया रास्ता खुला है। अडाणी ग्रुप के 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश से जहां इस क्षेत्र में रोजगार, बुनियादी ढांचे, और शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की उम्मीद है, वहीं यह भारत की समावेशी विकास नीति की मजबूती को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीति और कॉर्पोरेट क्षेत्र की सकारात्मक भागीदारी मिलकर नॉर्थ ईस्ट को भारत की अगली आर्थिक शक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।