ताजा खबर
CBSE 12वीं के नतीजों में ईशानी देबनाथ का 100% स्कोर, ह्यूमैनिटीज में हासिल किए 500 में से 500 अंक   ||    चलती ट्रेन से गिरकर युवक की मौत, अहमदाबाद लौटते वक्त सहरसा-मानसी रेलखंड पर हुआ हादसा   ||    Fact Check: क्या ताजमहल पर पाकिस्तान ने किया है हमला? यूपी पुलिस ने बताई सच्चाई   ||    Surya Gochar 2025: शत्रु राशि में बैठे सूर्य पर पड़ेगी शनि की दृष्टि, जानें सभी 12 राशियों पर क्या ह...   ||    14 मई का इतिहास: महत्वपूर्ण घटनाएँ और ऐतिहासिक दृष्टिकोण   ||    IPL 2025: एक सप्ताह के ‘ब्रेक’ से किस टीम को होगा सबसे ज्यादा नुकसान? खिताब का टूट सकता है सपना   ||    IPL 2025: RCB को लगा बड़ा झटका! स्टार खिलाड़ी के बाकी मैच खेलने पर बना संशय   ||    क्या पॉलिटिक्स में होने वाली है रोहित शर्मा की एंट्री? संन्यास के बाद देवेंद्र फडणवीस से की मुलाकात   ||    Gold Rate Today: सोने के दाम दो दिन में धड़ाम, जानें प्रमुख शहरों में आज के ताजा रेट   ||    ईंधन बदला, दिशा बदली: अडाणी एंटरप्राइजेज ने लॉन्च किया हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाला ट्रक   ||   

फिल्म रिव्यू Article 370



सिनोप्सिस - 'आर्टिकल 370' सरकार के एक ऐतिहासिक फैसले, उस फैसले को ग्राउंड पर लागू करने वाले लोगों, फ...


Posted On:Friday, February 23, 2024


यामी गौतम की अभिनय से 'आर्टिकल 370 ' पूरी तरह से चमकी , फिल्म की दिलचस्प कहानी कश्मीर की जटिल गतिशीलता पर प्रकाश डालती है

डायरेक्टर - आदित्य सुहास जांभले
स्टाररिंग : यामी गौतम ,प्रिया मणि , अरुण गोविल, किरण करमाकर
रन टाइम : 2 घंटे 40 मिनट
प्लेटफार्म : थिएटर
रेटिंग - 3

सिनोप्सिस - 'आर्टिकल 370' सरकार के एक ऐतिहासिक फैसले, उस फैसले को ग्राउंड पर लागू करने वाले लोगों, फैसले के पीछे की प्लानिंग-प्लॉटिंग और बिना किसी को कानों कान खबर हुए उसके कामयाब हो जाने को सेलिब्रेट करती है.

यामी गौतम स्टारर इस फिल्म को डायरेक्टर आदित्य सुहास जांभले ने चैप्टर वाले स्टाइल में ट्रीट किया है. ये चैप्टर कश्मीर के बुरहान वानी एपिसोड से शुरू होते हैं और पुलवामा हमले से होते हुए आगे बढ़ते हैं. आखिरकार ये वहां पहुंचते हैं, जहां भारत सरकार का एक फैसला कश्मीर की तकदीर बदलने के लिए तैयार है.

कहानी - 'आर्टिकल 370' शुरू होती है इंटेलिजेंस ऑफिसर जूनी हकसार (यामी गौतम) के एक मिशन से, जिसमें उनके निशाने पर बुरहान वानी है. जूनी का ऑपरेशन कश्मीर में बवाल खड़ा कर देता है, जिसके बाद उसे दिल्ली बुला लिया जाता है. इधर दिल्ली में पीएमओ की हाई रैंक ऑफिशियल राजेश्वरी स्वामीनाथन कश्मीर के हालात को लेकर एक्टिव हैं. वो सीधा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के 'कश्मीर विजन' को रियलिटी में लाने पर काम कर रही हैं. फिल्म में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम नहीं लिए गए हैं, मगर दोनों किरदारों को देखकर ही आप समझ जाते हैं कि ये कौन हैं.

राजेश्वरी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए जूनी को वापस कश्मीर भेजती हैं. इस बार नई पावर के साथ पहुंची जूनी का मिशन है कश्मीर में एंटी-इंडिया गतिविधियों और लोगों को काबू करना ताकि इधर सरकार अपने फैसले बिना चिंता के ले सके. और फिल्म की एकदम शुरुआत में ही ये साफ़ हो जाता है कि जूनी इस तरह के काम में किसी भी तरह ढीली नहीं पड़ने वाली.

एक तरफ आपको जूनी की नजर से कश्मीर के हालात, वहां की पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी पर कमेंट्री मिलती है. दूसरी तरफ, राजेश्वरी दिल्ली की राजनीति का जायका आप तक पहुंचाती हैं. सेकंड हाफ में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की एंट्री के बाद फिल्म का माहौल ही बदल जाता है. ऐसा लगता है कि सारा फोकस उनपर पहुंच गया है. लेकिन ये तो होना ही था, आखिरी वो किरदार ही ऐसे हैं!

परफॉरमेंस
यामी गौतम का काम इस फिल्म में इतना दमदार है कि 'आर्टिकल 370' को उनकी करियर बेस्ट परफॉरमेंस कहा जा सकता है. क्लोज-अप में उनकी आंखें चेहरे के एक्सप्रेशन और आवाज बेहतरीन असर करते हैं. राजेश्वरी एक रोल में प्रियामणि भी बहुत दमदार लगती हैं. वैभव तत्ववादी और राज अर्जुन की परफॉरमेंस भी याद रहने वाली है।
भारत के गृह मंत्री अमित शाह की एक पार्लियामेंट स्पीच को जिस तरह रीक्रिएट किया गया है, वो फिल्म के नैरेटिव में काफी असरदार है. किरण कर्मारकर ने अपने जानदार काम से इस रोल में जान फूंक दी है. इसी तरह अरुण गोविल ने प्रधानमंत्री के किरदार को बेहतरीन संजीदगी के साथ पेश किया है.

वर्डिक्ट
'आर्टिकल 370' रियलिटी और फिक्शन के बीच की लकीर पर बड़ी चतुराई से चलती है. पॉलिटिकल समझ और असल घटनाओं को पूरे फैक्ट्स के साथ देखने वाले लोगों को फिल्म में बहुत गलतियां मिल सकती हैं. मगर ये तो अब हम सभी जानते हैं कि इस तरह की फिल्मों में फैक्ट्स वो आखिरी चीज है जिस पर फोकस किया जाता है. लेकिन 'आर्टिकल 370' की खासियत यही है कि इसका पूरा ड्रामा बड़ी कलाकारी के साथ रचा गया है और थ्रिलिंग तरीके से आगे बढ़ता है।

'आर्टिकल 370' के पूरे नैरेटिव को बैकग्राउंड स्कोर से बहुत हेल्प मिलती है. सिनेमेटोग्राफी, साउंड और प्रोडक्शन के मामले में ये एक टेक्निकली सॉलिड फिल्म है. और बहुत असरदार तरीके से अपने नैरेटिव को आगे बढ़ाती है. इसलिए दर्शक के तौर पर ये समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिरकार पर्दे पर दिखाई जा रही कहानी फिक्शन है, फैक्ट नहीं. खुद मेकर्स भी इस बात को लेकर एक्स्ट्रा सतर्क हैं और शायद इसीलिए उन्होंने फिल्म की शुरुआत में एक बहुत लंबा-चौड़ा डिस्क्लेमर दिया है. इस दौर में पॉलिटिकल लकीर पर बनती फिल्मों की एक सिनेमाई याद ये लंबे-लंबे डिस्क्लेमर भी बनने वाले हैं.

कुल मिलाकर 'आर्टिकल 370' रियलिटी के बेहद करीब वाले फिक्शन को फैक्ट्स से थोड़ा दूर ले जाकर एक थ्रिलिंग तरीके से पेश करती है. यामी गौतम और बाकी सारे एक्टर्स की दमदार परफॉरमेंस फिल्म को एंगेजिंग बनाती है. बीच-बीच में संविधान की टेक्निकल चीजों को समझाने की कोशिश, नैरेटिव को थोड़ा सा धीमा करती है, मगर रियलिटी की पोटली में बंधा फिक्शन इससे मजबूत ही होता है.

अगर पॉलिटिकल फिल्मों को पचा पाने में आप कामयाब होते हैं तो 'आर्टिकल 370' देखी जा सकती है.


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !


मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.