ताजा खबर
अहमदाबाद में अब तक का सबसे बड़ा ज़मीन सौदा, लुलु ग्रुप ने 519 करोड़ में खरीदा प्लॉट   ||    मांचा मस्जिद तोड़फोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, कहा— नगर निगम जनहित में कर रहा काम   ||    पाकिस्तान के हमले में अफगानिस्तान के 6 लोगों की मौत, मृतकों में महिलाएं और बच्चे शामिल   ||    'हम जवाब देना जानते हैं', तीन क्रिकेटरों की मौत के बाद PAK को अफगानिस्तान की चेतावनी   ||    दिल्ली में सांसदों के फ्लैट्स में लगी भीषण आग, फायर ब्रिगेड की छह गाड़ियाें ने पाया काबू   ||    महाराष्ट्र के नंदुरबार में श्रद्धालुओं से भरी पिकअप गहरी खाई में गिरी, 8 लोगों की मौत और कई घायल   ||    'चुटकी में रुकवा सकता हूं अफगानिस्तान-पाकिस्तान की जंग', डोनल्ड ट्रंप का दावा   ||    IPS पूरन कुमार ने सुसाइड नोट कितने लोगों को भेजा, वसीयत में क्या लिखा था? लैपटॉप की जांच में जुटी SI...   ||    फैक्ट चेक: राजस्थान के अंता उपचुनाव में नरेश मीणा की मदद के लिए व्यवसायी ने भेजीं 1000 कारें? नहीं, ...   ||    मोजाम्बिक में बड़ा हादसा, समुद्र में नाव पलटने से तीन भारतीयों की मौत और 5 लापता   ||   

IND vs ENG: सैफ अली खान के पिता के सम्मान में बोले सचिन तेंदुलकर, क्रिकेट के भगवान ने फिर जीता दिल

Photo Source :

Posted On:Monday, June 16, 2025

भारत और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की बहुप्रतीक्षित टेस्ट सीरीज 20 जून 2025 से शुरू होने जा रही है। इस सीरीज को लेकर सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बहस भी देखने को मिली, जिसका संबंध है ट्रॉफी के नाम से। साल 2007 से इस द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज को "पटौदी ट्रॉफी" के नाम से जाना जाता है। यह नाम भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तानों में से एक नवाब मंसूर अली खान पटौदी के सम्मान में रखा गया था। लेकिन हाल ही में बीसीसीआई और ईसीबी ने इस ट्रॉफी का नाम बदलकर "तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी" करने का प्रस्ताव रखा था।

यह बदलाव दो महान क्रिकेटर्स — सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन — को सम्मान देने के उद्देश्य से सोचा गया था। पर इस प्रस्ताव के खिलाफ सबसे विनम्र और दिल छू लेने वाला रुख खुद सचिन तेंदुलकर ने अपनाया।


सचिन तेंदुलकर ने दिखाया बड़प्पन

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने खुद बीसीसीआई और ईसीबी से गुजारिश की कि ट्रॉफी का नाम बदला न जाए। उन्होंने कहा कि नवाब पटौदी भारतीय क्रिकेट के पायनियर रहे हैं और उनके नाम पर बनी ट्रॉफी बदलना उचित नहीं होगा। सचिन ने जिस विनम्रता और सम्मान के साथ यह बात कही, उसने फैंस का दिल जीत लिया।

तेंदुलकर का यह फैसला दिखाता है कि वे केवल महान बल्लेबाज ही नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट की संस्कृति और विरासत के प्रति भी बेहद संवेदनशील हैं।


पटौदी ट्रॉफी की ऐतिहासिक विरासत

नवाब मंसूर अली खान पटौदी भारत के सबसे युवा टेस्ट कप्तान बने थे और उन्होंने टीम इंडिया को आक्रामक सोच सिखाई थी। उनके नेतृत्व में भारत ने पहली बार विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज जीती थी। उनके इसी योगदान के कारण साल 2007 में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज को "पटौदी ट्रॉफी" का नाम दिया गया।

ट्रॉफी का यह नाम भारत और इंग्लैंड के बीच ऐतिहासिक जुड़ाव को भी दर्शाता है, क्योंकि पटौदी का परिवार भारतीय राजघराने से जुड़ा था और वे इंग्लैंड की ओर से भी क्रिकेट खेल चुके थे।


सैफ अली खान के पिता को मिला उचित सम्मान

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी को लेकर ईसीबी और बीसीसीआई पूरी तरह सम्मानजनक रुख अपनाना चाहते थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे तेंदुलकर और एंडरसन को सम्मान देने के साथ-साथ पटौदी का सम्मान भी बनाए रखना चाहते थे।

यही कारण है कि जब सचिन ने ट्रॉफी का नाम ना बदलने की सलाह दी, तो बीसीसीआई और ईसीबी ने इसे स्वीकार कर लिया। इस फैसले के पीछे आईसीसी अध्यक्ष जय शाह की भी अहम भूमिका रही।


अब मिलेगा पटौदी मेडल

नई रिपोर्ट्स के अनुसार, इस टेस्ट सीरीज में विजेता टीम के कप्तान को सिर्फ पटौदी ट्रॉफी ही नहीं, बल्कि पटौदी मेडल भी दिया जाएगा। यह पहल भारतीय क्रिकेट में नए परंपरागत सम्मान की शुरुआत मानी जा रही है। इससे न केवल मंसूर अली खान पटौदी की स्मृति जीवित रहेगी, बल्कि भविष्य के खिलाड़ियों के लिए यह एक प्रेरणास्रोत भी बनेगा।


शुभमन गिल की अगुवाई में नई उम्मीद

इस बार भारतीय टीम की कमान शुभमन गिल जैसे युवा खिलाड़ी के हाथों में है, जो पहली बार इस ऐतिहासिक ट्रॉफी को जीतने का सपना संजोए हुए हैं। भारत ने आखिरी बार इंग्लैंड के खिलाफ यह ट्रॉफी 2007 में जीती थी, और तब से अब तक यह ट्रॉफी भारत के हाथ से दूर रही है। अब 18 साल बाद, गिल और उनकी युवा टीम के पास सुनहरा मौका है इस इंतजार को खत्म करने का।


फैंस की भावनाएं और क्रिकेट की गरिमा

इस पूरी घटना ने साबित कर दिया कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और विरासत से जुड़ा मंच है। सचिन तेंदुलकर ने जिस तरह मंसूर अली खान पटौदी के सम्मान को प्राथमिकता दी, वह सभी क्रिकेट प्रेमियों को यह सिखाता है कि सम्मान, इतिहास और विरासत कभी पीछे नहीं छोड़े जाते


निष्कर्ष

पटौदी ट्रॉफी का नाम न बदलने का फैसला भारतीय क्रिकेट के इतिहास को जीवित रखने का एक अद्भुत उदाहरण है। यह फैसला न केवल सचिन तेंदुलकर की महानता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारतीय क्रिकेट में अब भी परंपरा और सम्मान को सर्वोपरि रखा जाता है। अब सभी की निगाहें शुभमन गिल की टीम पर हैं, जो इस ऐतिहासिक ट्रॉफी को अपने नाम करने के लिए मैदान में उतरने वाली है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.