मुंबई, 17 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट के नव-नियुक्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक सम्मान समारोह में न्यायपालिका की भूमिका पर महत्वपूर्ण बातें रखीं। उन्होंने कहा कि आज के समय में न्यायिक निर्णय केवल सख्त कानूनी दृष्टिकोण पर आधारित नहीं हो सकते, बल्कि सामाजिक वास्तविकताओं और मानवीय अनुभवों को समझते हुए निर्णय देना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जजों को लोगों से दूरी बनाकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि न्यायपालिका का समाज से जुड़ा रहना जरूरी है।
मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि जज बनने को लेकर वे शुरू में असमंजस में थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें समझाया कि एक वकील के तौर पर भले ही वे आर्थिक रूप से सफल हो सकते हैं, लेकिन जज बनने पर उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर के सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने अपने करीब 22 साल के हाईकोर्ट और 6 साल के सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल को संतोषजनक बताया और कहा कि उन्होंने हर स्तर पर न्याय प्रणाली को बेहतर बनाने की कोशिश की। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि भारत का संविधान देश की विविधताओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है और लोकतंत्र के तीनों स्तंभ, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ने इन 75 वर्षों में देश के विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में सकारात्मक कार्य किए हैं।
मुख्य न्यायाधीश गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया और 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज बनाए गए। वे देश के दूसरे दलित CJI हैं और कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें 2016 के नोटबंदी के फैसले को बरकरार रखना और चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल है। उनके बाद वरिष्ठता के क्रम में जस्टिस सूर्यकांत का नाम आता है, जिनके अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना जताई जा रही है।