पूरा देश इस बार मानसून की जल्दी दस्तक से हैरान है। आमतौर पर जुलाई महीने में प्रवेश करने वाला मानसून इस बार जून के अंतिम दिनों में ही पूरे भारत में फैल चुका है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह जानकारी दी है कि मानसून इस बार समय से काफी पहले पहुंचा है, जिससे कई राज्यों में बारिश ने राहत के साथ-साथ नुकसान भी पहुंचाया है। दिल्ली में हुई बारिश ने गर्मी से राहत दी है, वहीं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है।
मानसून का समय से पहले आगमन
इस साल मानसून सबसे पहले केरल पहुंचा, जो 24 मई 2025 को रिकॉर्ड किया गया। यह 2001 के बाद से चौथा सबसे जल्दी आने वाला मानसून माना जा रहा है। इसके बाद मानसून राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्सों में फैल गया और 29 जून को दिल्ली तक भी पहुंच गया। IMD के अनुसार, सामान्य तौर पर मानसून पूरे देश में 8 जुलाई तक पहुंचता है, लेकिन इस बार दो सप्ताह से भी अधिक जल्दी पहुंच गया है।
दिल्ली में यह इस दशक का 11वां सबसे जल्दी आने वाला मानसून है। मौसम विभाग के अनुसार, इस बारिश के कारण दिल्ली का तापमान रविवार को 32.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जो सामान्य तापमान से लगभग 4.4 डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान भी 26.8 डिग्री तक पहुंच गया, जिससे लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली।
दिल्ली में बारिश के आंकड़े
दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में रविवार को मध्यम से तेज बारिश हुई। राजधानी के बेस वेदर स्टेशन सफदरजंग में 5.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। पालम में सबसे ज्यादा 13.6 मिलीमीटर बारिश हुई, वहीं आयानगर में 9.9 मिमी, राजघाट में 8.3 मिमी, लोधी रोड में 5.3 मिमी, पूसा में 1 मिमी और नजफगढ़ में 2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
उत्तराखंड और हिमाचल में बारिश का कहर
उत्तराखंड में भारी बारिश ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। कुछ दिन पहले बादल फटने की घटना में कई मजदूर बह गए थे और अभी हाल में ही अलकनंदा नदी में भी उफान आया है, जिससे स्थानीय लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हिमाचल प्रदेश में भी हालात खराब हैं, जहां बादल फटने से कई लोगों की जानें गई हैं। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, आने वाले दिनों में इन पहाड़ी राज्यों में बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बना रहेगा।
भविष्य का मौसम कैसा रहेगा?
IMD ने दिल्ली के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, जिसके तहत हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। यह बारिश 1 जुलाई से 5 जुलाई तक भी जारी रह सकती है। इसके अलावा, अगले सात दिनों के दौरान देश के उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका है। विशेष रूप से 30 जून को झारखंड और ओडिशा में भी भारी बारिश होने की संभावना है, जिससे इन इलाकों में सतर्कता बरतने की जरूरत है।
मानसून की जल्दबाजी के कारण और प्रभाव
यह समय से पहले मानसून आने का मुख्य कारण इस बार वायुमंडलीय बदलाव और समुद्री तापमान में वृद्धि माना जा रहा है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और समुद्र की सतह तापमान में वृद्धि के कारण मानसूनी सिस्टम की दिशा और गति प्रभावित हो रही है। इससे देश में सामान्य मानसूनी पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है।
फायदे के तौर पर, मानसून के जल्दी आने से खेती के लिए फसल बोने का समय बढ़ जाता है, जिससे किसान अधिक लाभ उठा सकते हैं। लेकिन मानसून के अनियमित व्यवहार से कभी-कभी बाढ़, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ जाता है, जैसा कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में देखा गया।
दिल्लीवासियों के लिए राहत
दिल्ली में इस बारिश से गर्मी से राहत मिली है। मई-जून में दिल्ली में तापमान 40 डिग्री के ऊपर पहुंच जाता था, लेकिन मानसून के जल्दी आने से तापमान में गिरावट आई है, जिससे लोगों को गर्मी की तपिश से राहत मिली है। हालांकि, इस दौरान सावधानी भी जरूरी है क्योंकि अधिक बारिश से जलभराव और यातायात प्रभावित हो सकता है।
प्रशासन की तैयारी और सावधानियां
मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनजर राज्यों ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। विशेषकर उत्तराखंड, हिमाचल, झारखंड और ओडिशा में आपदा प्रबंधन विभाग सक्रिय हो गया है। बारिश के दौरान बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर राहत कार्य शुरू किए जाएंगे।