नई दिल्ली। भारत और तुर्की के बीच हाल के दिनों में रिश्ते तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। एक ओर तुर्की ने पाकिस्तान के समर्थन में बयान देकर भारत के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोल दिया, तो दूसरी ओर भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए तुर्की की एयरपोर्ट सेवा कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह केवल एक कंपनी पर कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रीय सम्मान और सुरक्षा का सवाल बन चुका है। इस फैसले के बाद तुर्की के बाजार में भी भारी उथल-पुथल मच गई है।
भारत सरकार की सख्त कार्रवाई: सेलेबी को अलविदा
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया की भारत में काम करने की अनुमति रद्द कर दी है। यह कंपनी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं दे रही थी। सरकार के इस फैसले के बाद दिल्ली एयरपोर्ट (DIAL) ने सेलेबी के साथ अपने सभी अनुबंध समाप्त कर दिए हैं। अब इन कार्यों की जिम्मेदारी AISATS और ब्रिज ग्रुप जैसी स्वदेशी कंपनियों को सौंपी गई है।
इस कार्रवाई का सीधा असर तुर्की की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इस्तांबुल स्टॉक एक्सचेंज में सेलेबी के शेयरों में 10% तक गिरावट दर्ज की गई। यह सिर्फ आर्थिक झटका नहीं, बल्कि भारत द्वारा भेजा गया एक स्पष्ट कूटनीतिक संदेश है।
तुर्की की पाकिस्तान परस्ती और भारत की नाराजगी
तनाव की असली वजह तुर्की द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन और भारत के खिलाफ बयानबाजी है। हाल ही में भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। तुर्की ने इस ऑपरेशन की आलोचना करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को “प्रिय भाई” कहकर भारत के खिलाफ अपने पक्ष को और स्पष्ट कर दिया।
इसके बाद भारत में #BoycottTurkey ट्रेंड करने लगा। सोशल मीडिया पर लोग तुर्की के सामान, सेवाओं और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग करने लगे। यही जनदबाव था जिसके बाद सेलेबी पर कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी, और अंततः सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए कदम उठाया।
व्यापार पर पड़ा असर: भारत का पलड़ा भारी
भारत और तुर्की के व्यापारिक रिश्तों में भारत का पलड़ा हमेशा भारी रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों के अनुसार:
तुर्की से भारत में सेब, संगमरमर, पेट्रोलियम उत्पाद और सोना आता है, लेकिन अब इन उत्पादों के बहिष्कार की शुरुआत हो चुकी है। महाराष्ट्र और राजस्थान के व्यापारियों ने तुर्की के सेब और संगमरमर के आयात पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया है।
पर्यटन उद्योग पर तुर्की को तगड़ा झटका
तुर्की के लिए एक और बड़ा झटका पर्यटन के क्षेत्र से आया है। भारत से तुर्की जाने वाली फ्लाइट्स की बुकिंग में 60% गिरावट दर्ज की गई है, जबकि ट्रैवल कैंसिलेशन में 250% बढ़ोतरी देखी गई है। कई ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्की यात्रा से बचने की सलाह जारी कर दी है।
भारतीय पर्यटकों का तुर्की पर खासा भरोसा रहा है, लेकिन राजनीतिक माहौल में आए इस बदलाव ने पर्यटन उद्योग को सीधा नुकसान पहुंचाया है।
भारत की पुरानी मदद और तुर्की की नई चाल
भारत ने साल 2023 में तुर्की में आए भयानक भूकंप के समय ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मदद भेजी थी। भारतीय वायुसेना द्वारा राहत सामग्री, डॉक्टर्स और रेस्क्यू टीमें भेजी गई थीं। उस समय भारत ने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर इंसानियत के नाते तुर्की की मदद की थी।
लेकिन अब तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के पाकिस्तान के साथ दिखते झुकाव और भारत विरोधी बयानों से देश की जनता और सरकार दोनों ही नाराज हैं। यह नाराजगी अब तुर्की की अर्थव्यवस्था पर साफ तौर पर नजर आ रही है।
निष्कर्ष: सम्मान सर्वोपरि, कूटनीति नहीं झुकेगी
भारत का यह कदम दिखाता है कि वह अब केवल व्यापार या कूटनीति के तराजू पर फैसले नहीं ले रहा, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान, सुरक्षा और स्वाभिमान को सर्वोपरि मान रहा है। तुर्की को भी अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत न तो अब चुप रहेगा, न ही किसी के दबाव में झुकेगा।
यह तनाव भविष्य में और गहरा सकता है यदि तुर्की अपनी पाकिस्तान परस्त नीतियों को नहीं बदलेगा। वहीं भारत की जनता अब पहले से कहीं ज्यादा सजग है और उसका समर्थन सरकार की सख्ती में झलकता है।
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