ताजा खबर
गुजरात साइंस सिटी में अफ्रीकी पेंगुइन के तीन बच्चों का जन्म, नामकरण हुआ   ||    केंद्र सरकार के निर्देश पर गुजरात में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई, 400 से अधिक हिरासत में   ||    बाढ़ या सूखा? सिंधु जल संधि खत्म होने से पाकिस्तान को 5 नुकसान, भारत का बड़ा फायदा; 4 पॉइंट में जाने...   ||    पहलगाम हमले में Hamas के 3 टॉप कमांडर शामिल, दावा- पाकिस्तान में हैं एक्टिव   ||    LoC पर पाकिस्तान के हर वार पर पलटवार कर रही इंडियन आर्मी, आज फिर दिया जवाब   ||    पाकिस्तान से भारत का Revenge प्लान तैयार है क्या? जानें भारतीय सेना दुश्मन को कैसे दे सकती है मुंहतो...   ||    पाक की एक और नापाक हरकत…कैप्टन अभिमन्यु का फोटो दिखा दी मारने की धमकी   ||    पाकिस्तानी सेना के 10 जवानों को मारने का दावा, BLA आर्मी ने शेयर किया वीडियो   ||    न डरेंगे न कश्मीर छोड़कर जाएंगे…आतंकी हमले के बाद भी पहलगाम में रुककर टूरिस्टों ने दिखाई दिलेरी   ||    UPI ID भी अपनों से कर सकेंगे शेयर, क्या है यूपीआई सर्किल, जिससे होगा ये आसान   ||   

आखिर क्यों, महादेव को नहीं चढ़ाई जाती हैं तुलसी, इसके पीछे की रोचक कहानी, यहां जानिए ?

Photo Source :

Posted On:Monday, February 20, 2023

महादेव को धतूरा, बेल पत्र, जल चढ़ाते हैं, हालांकि किसी भी हिंदू पूजा अनुष्ठान के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली तुलसी को महादेव को नहीं चढ़ाया जाता है। जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी।

श्रापित होने के कारण भगवान महादेव को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि तुलसी अपने पिछले जन्म में एक राक्षस की बेटी थी। उसका नाम वृंदा था। उसकी शादी जालंधर नाम के एक दानव से हुई थी। उसका पति बहुत अत्याचार कर रहा था। जब जालंधर का महादेव से युद्ध हुआ तो उसे हराने के लिए महादेव को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। महादेव ने भगवान श्री विष्णु से उनकी सहायता करने का आग्रह किया। विष्णु जी ने छल से वृंदा का पतिव्रत तोड़ दिया। बाद में जब वृंदा को पता चला कि वह भगवान श्री विष्णु हैं तो उन्होंने उन्हें पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि हम जालंधर से तुम्हारी रक्षा कर रहे थे। वह उसे लकड़ी बनने का श्राप देता है। इस श्राप के बाद वृंदा तुलसी का पौधा बन गई।

यहाँ तीन बार चरणामृत दिया जाता है:

संसार में 3 प्रकार के दुःख हैं। पहला है अधिभौतिक (भौतिक), दूसरा है अलौकिक (अधिदैविक) और तीसरा है आध्यात्मिक (आद्यतामिक)। अधिभौतिक के अंतर्गत मानव शरीर में विभिन्न प्रकार के विकार या रोग उत्पन्न होते हैं। जबकि अधिदैविक में देवता द्वारा कष्ट दिया जाता है। जैसे- ओलावृष्टि, दुर्घटना, भारी वर्षा और वर्षा न होना, भूकंप, बिजली गिरना। इसके साथ ही तीसरी आध्यात्मिक या आध्यात्मिक यानी मन और बुद्धि काम नहीं करनी चाहिए। ऐसे में चरणामृत के दर्शन से तीनों प्रकार के दुखों का निवारण होता है।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.