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लॉस एंजेलिस में बिगड़े हालात, अमेरिका ने 200 मरीन जवान किए तैनात

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Posted On:Saturday, June 14, 2025

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ नाराजगी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, और इस नाराजगी का असर पूरे देश में दिखने लगा है। ‘नो किंग्स’ नामक एक बड़ा विरोध अभियान (कैम्पेन) देशभर में आयोजित किया जा रहा है, जो ट्रंप की पॉलिसी और उनके प्रशासन की आलोचना करता है। इस विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला के बीच, खासकर इमिग्रेशन से जुड़ी सख्त नीतियों को लेकर हाल के दिनों में तनाव चरम पर पहुंच चुका है।

लॉस एंजेलिस जैसे बड़े शहरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बीते दिनों फेडरल बिल्डिंग के आसपास लगभग 200 मरीन सैनिकों को तैनात किया गया ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। इन सैनिकों को पूरी तरह से हथियार और सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए हैं। यह तैनाती अमेरिकी नेशनल गार्ड के जवानों की जगह की गई, ताकि पुलिस बल को अन्य सुरक्षा जिम्मेदारियां सौंपने में आसानी हो सके।

विरोध प्रदर्शन का सन्दर्भ

यह विरोध प्रदर्शन ट्रंप सरकार की इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ एक सप्ताह से जारी आंदोलन का हिस्सा है। इस आंदोलन में देश के कई हिस्सों से लोग शामिल हो रहे हैं, जो सरकार की कठोर नीतियों का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते वाशिंगटन डीसी में भी एक बड़ी सैन्य परेड आयोजित की जाएगी, जिसमें टैंकों और सशस्त्र सैनिकों को मार्च करते देखा जाएगा। इसका उद्देश्य आम जनता को सुरक्षा का संदेश देना और किसी भी प्रकार के हिंसक प्रदर्शन को नियंत्रित करना है।

सैन्य तैनाती और राजनीतिक विवाद

लॉस एंजेलिस में पहले भी लगभग 700 मरीन को सड़कों पर उतारा गया था। ये सैनिक कैलिफोर्निया के मरीन कॉर्प्स एयर ग्राउंड कॉम्बैट सेंटर के हैं, और इन्हें प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए भेजा गया था। ट्रंप प्रशासन की इस कड़ी कार्रवाई को डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष का कहना है कि सैनिकों की तैनाती लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है और इससे स्थिति और खराब होगी।

मरीन और नेशनल गार्ड दोनों मिलकर शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कई जगह प्रदर्शन हिंसक रूप धारण कर गए हैं।

हिंसक प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई

लॉस एंजेलिस में विरोध प्रदर्शन के दौरान कई जगह आगजनी की घटनाएं हुईं, कई गाड़ियों को आग के हवाले किया गया, और मुख्य सड़कें भी जाम कर दी गईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे स्थिति थोड़ी बेहतर हुई, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस दोनों ही इस हिंसा को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है।

कैलिफोर्निया सरकार का रुख

इन सभी घटनाओं के बीच कैलिफोर्निया राज्य सरकार ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है। राज्य के गवर्नर ने स्पष्ट किया है कि वे मरीन और नेशनल गार्ड की तैनाती के खिलाफ मुकदमा दायर कर चुके हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह कदम राज्य की संप्रभुता और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।

गवर्नर ने ट्रंप के फैसले की सार्वजनिक रूप से निंदा की और इसे अत्यधिक कठोर और गैरजरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को जनता की आवाज सुननी चाहिए न कि सैनिक तैनात करके शांत करना चाहिए।

राजनीतिक माहौल और आगे की चुनौतियां

ट्रंप के खिलाफ बढ़ती नाराजगी केवल इमिग्रेशन नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके नेतृत्व के कई अन्य फैसलों को लेकर भी जनता असंतुष्ट है। राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण होता जा रहा है, और आगामी चुनावों में इसका असर स्पष्ट तौर पर दिखाई दे सकता है।

डेमोक्रेट्स इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं और ट्रंप की नीतियों की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। वहीं, ट्रंप समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है और इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।

निष्कर्ष

अमेरिका के बड़े शहरों में ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उनकी नीतियों के विरोध में सैन्य तैनाती जैसे कदम देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल को बहुत प्रभावित कर रहे हैं। इस स्थिति से निपटना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। भविष्य में यह देखना होगा कि सरकार और विपक्ष किस प्रकार मिलकर देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखते हैं।

यह समय अमेरिका के लिए सोचने का भी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए ताकि देश के सभी नागरिकों को न्याय और सुरक्षा दोनों मिले।


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