मुंबई, 28 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गाजा में शांति बहाल करने के लिए पाकिस्तान 20 हजार सैनिक भेजेगा। इन सैनिकों का काम हमास से हथियार सरेंडर करवाना और इलाके में स्थिरता बनाए रखना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस मिशन को लेकर इजराइल के साथ एक गुप्त समझौता किया है। ये सैनिक इंटरनेशनल स्टैबिलाइजेशन फोर्स (ISF) का हिस्सा होंगे, जो गाजा में शांति समझौते को लागू करेगी। इस फैसले पर मिस्र की राजधानी काहिरा में एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी, जिसमें इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के वरिष्ठ अधिकारी, पाकिस्तान और अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बताया जा रहा है कि यह पूरी योजना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 20 सूत्रीय शांति पहल का हिस्सा है, जिसे उन्होंने 29 सितंबर को गाजा युद्ध रोकने के लिए पेश किया था। इस योजना में हमास का हथियार डालना सबसे प्रमुख शर्त है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्किये, अजरबैजान और कतर इस कदम से असहमत हैं। ये देश गाजा में पाकिस्तानी सैनिकों की तैनाती नहीं चाहते। हालांकि, पाकिस्तान तुर्किये से अपनी दोस्ती बनाए रखना चाहता है और साथ ही ट्रम्प प्रशासन को भी नाराज नहीं करना चाहता। पाकिस्तानी सैनिक इंडोनेशिया और अजरबैजान के सैनिकों के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था, पुनर्निर्माण कार्य और हमास पर नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 13 अक्टूबर को मिस्र के शहर शर्म अल शेख में गाजा शांति समझौते पर दस्तखत किए थे। इस दौरान 20 से अधिक देशों के नेता मौजूद थे, हालांकि इजराइल और हमास को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद ट्रम्प ने प्रेस के सामने दस्तावेज का अंतिम पृष्ठ दिखाया, जिस पर लिखा था कि हर व्यक्ति को सम्मान, समान अवसर और शांति में जीने का अधिकार है। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक औपचारिक रूप से इजराइल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसके बावजूद उसने शांति समझौते को लेकर यह गुप्त सहयोग किया है। कुछ ही दिन पहले पाकिस्तानी रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि इजराइल का उद्देश्य मुस्लिम दुनिया की ताकत को कमजोर करना है, इसलिए सभी मुस्लिम देशों को उसके खिलाफ एकजुट होना चाहिए।