यमन में मौत की सजा पाए केरल की निमिषा प्रिया की फांसी रोकने के लिए सरकार और कई अन्य संस्थाएं प्रयास कर रही हैं। इस मामले में अब भारतीय ग्रैंड मुफ्ती मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद (कांथापुरम मुसलियार) भी सामने आए हैं। उन्होंने यमन सरकार से अनुरोध किया है कि निमिषा की सजा को टाला जाए। इस संदर्भ में यमन में मीटिंग भी आयोजित की गई है ताकि इस मामले में किसी सकारात्मक परिणाम तक पहुंचा जा सके। उल्लेखनीय है कि निमिषा को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है, जिसे रोकने के लिए अब तक कूटनीतिक स्तर पर कई पहलें हो रही हैं।
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कौन हैं?
मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम AP अबूबकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्वों में से एक हैं। वे ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के महासचिव भी हैं और भारतीय मुसलमानों के बीच बहुत सम्मानित हैं। उनका जन्म 22 मार्च 1931 को हुआ था। 2018 में पूर्व ग्रैंड मुफ्ती के निधन के बाद उन्हें इस पद की जिम्मेदारी दी गई थी। उनके चुनाव और पद ग्रहण का जश्न न केवल भारत में बल्कि कई मुस्लिम देशों में भी मनाया गया था।
मुफ्ती अबूबकर मुसलियार का जीवन शांति और शिक्षा के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने देश-विदेश में शांति सम्मेलन आयोजित किए और पर्यावरण संरक्षण जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी काम किया। 2014 में उन्होंने दिल्ली में आयोजित एक शांति सम्मेलन के दौरान 1 लाख पेड़ लगाने की मुहिम भी शुरू की थी। वे शिक्षा को शांति की कुंजी मानते हैं और अपने जीवन में इसे उच्च स्थान देते आए हैं।
उनकी आत्मकथा ‘विश्वसापूर्वम’ का विमोचन केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने किया था, जो उनकी जीवन यात्रा और उनके कार्यों की गहराई को दर्शाती है।
निमिषा प्रिया का मामला
केरल के कोच्चि निवासी निमिषा प्रिया पर यमन में अपने स्थानीय बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है। आरोप है कि तलाल की मौत नशे की दवाओं के ओवरडोज से हुई, लेकिन यमन की कोर्ट ने इस मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई है। निमिषा पर आरोप है कि उन्होंने तलाल को नशीली दवाएं दीं, जिससे उसकी मौत हो गई। इस केस में यमन सरकार ने फांसी की सजा दी है, जो 16 जुलाई को लागू होनी है।
भारत सरकार इस मामले में कूटनीतिक स्तर पर प्रयास कर रही है ताकि फांसी को टाला जा सके। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वे कूटनीतिक प्रयास लगातार जारी रखेंगे।
ग्रैंड मुफ्ती का प्रयास और अपील
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने यमन के अधिकारियों से अपील की है कि वे इस सजा को पुनर्विचार करें और निमिषा को रिहा करें। उनके इस कदम से उम्मीद जगी है कि धार्मिक और मानवीय दृष्टिकोण से मामला हल हो सके।
मुफ्ती अबूबकर मुसलियार की अपील को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है क्योंकि वे न केवल धार्मिक नेता हैं बल्कि मुस्लिम समुदाय में एक प्रभावशाली हस्ती भी हैं। उनकी बात को यमन सरकार और वहां के समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव डालने की उम्मीद है।
सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने भी इस केस को गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्रालय और संबंधित एजेंसियां लगातार यमन के अधिकारियों से संपर्क में हैं। भारत सरकार ने यमन में अपने राजनयिक माध्यमों का उपयोग करते हुए निमिषा की सजा को टालने के लिए कई बार प्रयास किया है।
हालांकि, यमन के न्यायिक तंत्र ने अपना फैसला सुना दिया है, लेकिन भारत सरकार अभी भी कूटनीतिक प्रयासों में लगी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाएंगे और हर संभव प्रयास करेंगे कि निमिषा को राहत मिल सके।
सामाजिक और मानवीय पहलू
निमिषा प्रिया के मामले ने भारत में मानवाधिकार, न्याय और महिलाओं की सुरक्षा के सवालों को एक बार फिर उठाया है। यह मामला दिखाता है कि विदेशों में फंसे भारतीयों की सुरक्षा और उनकी सहायता के लिए मजबूत कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत है।
भारत में कई सामाजिक संगठन और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस मामले में आवाज उठा रहे हैं। वे सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह जल्द से जल्द निमिषा को न्याय दिलाने और उसके जीवन की रक्षा करने के लिए कदम उठाए।
निष्कर्ष
निमिषा प्रिया की फांसी रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास भारत सरकार, भारतीय ग्रैंड मुफ्ती और अन्य संस्थाओं के लिए बड़ी चुनौती हैं। यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि मानवता, न्याय और कूटनीतिक संवेदनशीलता का है।
मुफ्ती अबूबकर मुसलियार की अपील से उम्मीद जगी है कि यमन सरकार इस मामले को पुनः विचार करेगी। भारत सरकार की कूटनीतिक पहलें भी इस दिशा में सकारात्मक संकेत हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इन प्रयासों से निमिषा को न्याय और संरक्षण मिलेगा, ताकि वे अपने जीवन को फिर से संवार सकें।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि विदेशों में फंसे भारतीयों की सुरक्षा के लिए सतत निगरानी और सहायता की आवश्यकता है, ताकि ऐसे दुखद घटनाओं से बचा जा सके।