22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की शांत और खूबसूरत घाटी में जो आतंकी हमला हुआ, उसमें शामिल एक आतंकी की पहचान अब सामने आ चुकी है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने हमले की जांच में बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक मुख्य हमलावर की पहचान हाशिम मूसा के रूप में की है। यह वही नाम है जिस पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहले ही 20 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
पाकिस्तान की ट्रेनिंग से बना खूंखार आतंकी
हाशिम मूसा कोई आम आतंकी नहीं है। पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्स (SSG) का यह पूर्व पैरा कमांडो अब भारत के खिलाफ जंग लड़ने वाले आतंकियों का अगुवा बन चुका है। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मूसा ने पाकिस्तान की सेना से पैरा कमांडो जैसी कठिन ट्रेनिंग ली है और वह फिजिकली तथा मेंटली दोनों ही स्तर पर अत्यधिक सक्षम है। यही कारण है कि वह किसी भी बड़े ऑपरेशन को सटीकता से अंजाम दे सकता है।
उसके पास न केवल अत्याधुनिक हथियार थे, बल्कि उसे हाई-टेक नेविगेशन और सिग्नल जैमिंग सिस्टम का भी प्रशिक्षण मिला हुआ है, जिसकी वजह से उसे ट्रैक करना भारतीय एजेंसियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
लश्कर-ए-तैयबा का भरोसेमंद चेहरा
मूसा लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठन के लिए लंबे समय से काम कर रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और लश्कर ने मिलकर पहलगाम हमले की साजिश रची थी। हाशिम मूसा को यह मिशन सौंपा गया था क्योंकि वह ट्रेनिंग, तकनीक और रणनीति के मामले में बेहद घातक और अनुभवी है।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, मूसा ने आर्मी के स्पेशल कमांडो की तरह ही हमले को अंजाम दिया। उसके हमले का पैटर्न साफ तौर पर इस बात की तस्दीक करता है कि वह कोवर्ट ऑपरेशन्स और गुरिल्ला वॉरफेयर में पूरी तरह से पारंगत है।
एजेंसियों की सख्त जांच और गिरफ्तारियां
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मूसा की पहचान होते ही तेजी से कार्रवाई शुरू की है। मूसा के नेटवर्क को तोड़ने और उसके लोकल संपर्कों का पता लगाने के लिए अब तक 10 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जो ओवरग्राउंड वर्कर्स के रूप में लश्कर के लिए काम कर रहे थे। ये लोग स्थानीय स्तर पर आतंकियों के लिए रेकी, रहन-सहन, ठहरने की जगह, लॉजिस्टिक्स और भागने के रास्ते जैसे इंतजाम करते हैं।
पूछताछ के दौरान इन वर्कर्स ने कई अहम जानकारियां दी हैं, जिससे मूसा की गतिविधियों का पूरा नेटवर्क सामने आने लगा है।
पहलगाम हमले से पहले भी रहा है सक्रिय
हाशिम मूसा की आतंकी गतिविधियां केवल पहलगाम तक सीमित नहीं हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह अक्टूबर 2024 में गगनगीर और गंदेरबल में हुए आतंकी हमलों में भी शामिल था। वहां भी आतंकियों ने आम नागरिकों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया था। इन हमलों के बाद ही भारत की खुफिया एजेंसियों ने मूसा को ‘हाई वैल्यू टारगेट’ घोषित कर रखा था।
अब जबकि वह पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बनकर सामने आया है, भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चला रही हैं।
मूसा की खासियतें जो उसे खतरनाक बनाती हैं
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SSG पैरा कमांडो ट्रेनिंग: पाकिस्तान की सबसे कठिन सैन्य ट्रेनिंग ली हुई है।
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हथियारों की विशेषज्ञता: आधुनिक राइफल्स, ग्रेनेड लॉन्चर और स्मोक सिस्टम का इस्तेमाल जानता है।
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नेविगेशन एक्सपर्ट: GPS जैमर और सैटेलाइट से बचने की तकनीक में माहिर।
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कोवर्ट ऑपरेशन में अनुभव: चुपचाप ऑपरेशन को अंजाम देने की कला में पारंगत।
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लश्कर से गहरा संपर्क: लंबे समय से इस आतंकी संगठन के लिए काम कर रहा है।
ISI की भूमिका की भी जांच
इस पूरे हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका भी संदिग्ध है। एजेंसियों को इस बात के सबूत मिले हैं कि मूसा को ट्रेनिंग और हथियारों की सप्लाई ISI की मदद से मिली थी। इसके साथ ही, हमले की रणनीति बनाने में भी ISI ने मुख्य भूमिका निभाई थी। भारत की सुरक्षा एजेंसियां अब इस हमले की हर परत को खोलने में जुटी हैं ताकि पाकिस्तान की नापाक चालें दुनिया के सामने लाई जा सकें।
निष्कर्ष: एकजुट होकर दे जवाब
हाशिम मूसा जैसे आतंकियों की पहचान और साजिश का पर्दाफाश होना भारत की खुफिया एजेंसियों की बड़ी कामयाबी है। लेकिन असली चुनौती अब इस नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने की है। इस हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंक को पनाह देता है और भारत के खिलाफ इनका इस्तेमाल करता है।
देशवासियों को सतर्क रहना होगा, सुरक्षा एजेंसियों का साथ देना होगा और हर संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत साझा करनी होगी। जब तक देश एकजुट है, आतंकवाद और उसके सरपरस्त कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकते।