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Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी के दिन भूल से भी न करें ये 3 गलतियां, संकटों से घिर सकता है जीवन!

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Posted On:Friday, March 21, 2025

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है, जिन्हें रोग निवारक देवी माना जाता है। इस बार शीतला सप्तमी 21 मार्च 2025 को और शीतला अष्टमी 22 मार्च 2025 को पड़ रही है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संक्रामक रोगों से सुरक्षा मिलती है और पूरे परिवार को स्वास्थ्य लाभ होता है। यह पर्व 'बासौड़ा' नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इस दिन बासी भोजन करने और माता को भोग लगाने की परंपरा है। आइए जानते हैं कि शीतला अष्टमी का धार्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से क्या महत्व है और इस दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

शीतला अष्टमी का महत्व

शीतला अष्टमी का व्रत संक्रामक रोगों से बचाव के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि माता शीतला की आराधना से चेचक, खसरा, चिकनपॉक्स जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है। यह दिन स्वास्थ्य रक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का भी अवसर है। बासी भोजन करने की परंपरा पाचन तंत्र को आराम देने का प्रतीक मानी जाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक होता है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि

  • प्रातः स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • व्रत का संकल्प लें और माता शीतला की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना करें।
  • माता को बासी भोजन, हलवा, पूड़ी, दही, और गुड़ अर्पित करें।
  • झाड़ू, नीम की पत्तियां, दही और ठंडा जल भी चढ़ाना शुभ माना जाता है।
  • पूरे दिन माता का ध्यान करते हुए व्रत रखें और परिवार के स्वास्थ्य की कामना करें।

शीतला अष्टमी पर क्या नहीं करना चाहिए?

  1. चूल्हा न जलाएं: इस दिन कोई भी ताजा भोजन नहीं पकाया जाता। सभी भोजन एक दिन पहले ही तैयार किया जाता है।
  2. गर्म चीजों से परहेज: गर्म भोजन, चाय या गर्म पेय पदार्थों का सेवन वर्जित है। ऐसा करना माता शीतला की नाराजगी का कारण बन सकता है।
  3. अधिक सफाई या झाड़ू-पोछा न करें: इस दिन घर में ज्यादा सफाई करना मना है। मान्यता है कि इससे व्रत का पुण्य घट जाता है।
  4. किसी से विवाद न करें: व्रत के दौरान शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार का कलह या विवाद न करें।

बासौड़ा पर्व क्यों कहते हैं?

शीतला अष्टमी को 'बासौड़ा' पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन बासी खाना खाने का नियम होता है। पुरानी मान्यता के अनुसार, बासी भोजन से शरीर शीतल रहता है और बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।

निष्कर्ष

शीतला अष्टमी का व्रत आस्था और स्वास्थ्य का संगम है। माता शीतला की पूजा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यदि नियमों का पालन किया जाए, तो इस पर्व का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। इस बार 22 मार्च 2025 को व्रत रखकर माता शीतला का आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें।


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