ताजा खबर
Fact Check: क्या ताजमहल पर पाकिस्तान ने किया है हमला? यूपी पुलिस ने बताई सच्चाई   ||    Surya Gochar 2025: शत्रु राशि में बैठे सूर्य पर पड़ेगी शनि की दृष्टि, जानें सभी 12 राशियों पर क्या ह...   ||    14 मई का इतिहास: महत्वपूर्ण घटनाएँ और ऐतिहासिक दृष्टिकोण   ||    IPL 2025: एक सप्ताह के ‘ब्रेक’ से किस टीम को होगा सबसे ज्यादा नुकसान? खिताब का टूट सकता है सपना   ||    IPL 2025: RCB को लगा बड़ा झटका! स्टार खिलाड़ी के बाकी मैच खेलने पर बना संशय   ||    क्या पॉलिटिक्स में होने वाली है रोहित शर्मा की एंट्री? संन्यास के बाद देवेंद्र फडणवीस से की मुलाकात   ||    Gold Rate Today: सोने के दाम दो दिन में धड़ाम, जानें प्रमुख शहरों में आज के ताजा रेट   ||    ईंधन बदला, दिशा बदली: अडाणी एंटरप्राइजेज ने लॉन्च किया हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाला ट्रक   ||    Public Holiday: 16 मई को बंद रहेंगे स्कूल, कॉलेज और बैंक, जानें आपके राज्य में छुट्टी है या नहीं?   ||    पाकिस्तान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक हुआ तो कितने खौफनाक होंगे परिणाम? पीढ़ियों तक रहेगा असर   ||   

BR गवई बने 52वें चीफ जस्टिस, पद संभालने के बाद जानें कौन-से केस सबसे पहले देखेंगे?

Photo Source :

Posted On:Wednesday, May 14, 2025

भारत के न्यायिक इतिहास में आज एक अहम दिन है। सुप्रीम कोर्ट को आज 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) मिल गए हैं। वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज सुबह 10 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। उन्होंने CJI संजीव खन्ना का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया था।

दलित समुदाय से दूसरे CJI

जस्टिस गवई का कार्यकाल 7 महीने का रहेगा और वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। वे जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन के बाद भारत के दूसरे दलित CJI बने हैं। वरिष्ठता के आधार पर उन्हें यह पद सौंपा गया है, और CJI संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई ने 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा

24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता रामाकृष्ण सूर्यभान गवई महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता थे और बिहार समेत कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। अंबेडकरवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की थी।

जस्टिस गवई ने कानून की पढ़ाई अमरावती विश्वविद्यालय से की और 25 वर्ष की उम्र में वकालत शुरू की। उन्होंने मुंबई और अमरावती की अदालतों में वर्षों तक प्रैक्टिस की। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में सरकारी वकील बने और 2003 में एडिशनल जज और 2005 में स्थायी जज नियुक्त हुए।

सुप्रीम कोर्ट में 2019 से

सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने से पहले वे 16 वर्षों तक बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहे। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। अब, वे अगले 7 महीने भारत की सर्वोच्च अदालत का नेतृत्व करेंगे।

संविधान सर्वोच्च, न कि संसद

जस्टिस गवई का मानना है कि संविधान सर्वोच्च है, न कि संसद। हाल ही में उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की 13 जजों की संविधान पीठ पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि संविधान सर्वोच्च है। यह टिप्पणी उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान के जवाब में दी थी, जिसमें संसद को सर्वोच्च बताया गया था।

जस्टिस गवई: एक सेक्यूलर दृष्टिकोण

जस्टिस गवई स्वयं को सेक्यूलर मानते हैं। उन्होंने कहा, “मैं बौद्ध धर्म का अनुयायी हूं, लेकिन मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सब जगह जाता हूं। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।” उन्होंने गर्व से बताया कि वे भारत के पहले बौद्ध CJI होंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि बुद्ध पूर्णिमा के ठीक बाद उन्हें यह पद मिला है।

संवैधानिक प्राथमिकताएं और बड़े मामले

मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई की प्राथमिकता उन मामलों पर होगी, जिनका समाज और राजनीति पर बड़ा असर पड़ता है। उनके कार्यकाल में वक्फ संशोधन कानून और प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट से जुड़ी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सामने आ सकती हैं। यह दोनों ही बेहद संवेदनशील और बहस वाले मुद्दे हैं, जिन पर पूरे देश की निगाहें रहेंगी।

राजनीतिक मामलों में निर्णायक भूमिका

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस गवई ने कई राजनीतिक और संवेदनशील मामलों में अहम फैसले दिए हैं:

  • उन्होंने NewsClick के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मामलों में UAPA और PMLA के तहत गिरफ्तारी पर सख्त टिप्पणियां की थीं।

  • नवंबर 2024 में उनकी अगुवाई वाली बेंच ने यह भी कहा था कि बिना उचित प्रक्रिया के संपत्ति पर बुलडोजर चलाना कानून के खिलाफ है।

  • वे उस सात जजों की संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने SC में SC कोटे के भीतर आरक्षण की वैधता की वकालत की थी।

  • राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में राहत देने वाले बेंच में भी वे शामिल थे। इसी फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हुई थी।

निष्कर्ष

जस्टिस बी.आर. गवई का कार्यकाल भले ही सीमित हो, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि, अनुभव और संविधान को सर्वोपरि मानने वाली सोच उन्हें एक प्रभावशाली मुख्य न्यायाधीश बना सकती है। उनके सामने कई चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील मामले होंगे, और देश को उम्मीद है कि वे न्याय और संविधान की मर्यादा को बनाए रखते हुए निर्णायक भूमिका निभाएंगे।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.