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भूकंप के झटकों से कांपी चीन की धरती, बंगाल की खाड़ी और तिब्बत में भी आया Earthquake

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Posted On:Monday, May 19, 2025

भूकंप के झटकों से धरती एक बार फिर हिल गई है। बीती रात से आज सुबह तक तीन देशों—चीन, म्यांमार और तिब्बत—साथ ही बंगाल की खाड़ी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) की रिपोर्ट के मुताबिक, इन चारों जगहों पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.8 से 4.5 तक दर्ज की गई है। हालांकि अभी तक किसी भी क्षेत्र में जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है, लेकिन भूकंप विज्ञानियों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप भी कभी-कभी बड़े और विनाशकारी भूकंप के संकेत हो सकते हैं, इसलिए स्थिति पर नजदीकी नजर रखना आवश्यक है।

भूकंप की तीव्रता और केंद्र की जानकारी

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, चीन में बीती रात लगभग 11 बजे के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों की तीव्रता 4.5 रिक्टर स्केल पर मापी गई, जो कि मध्यम दर्जे का भूकंप माना जाता है। इस भूकंप का केंद्र धरती की सतह से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था, जो इसे सतही भूकंपों की श्रेणी में रखता है। सतही भूकंपों का प्रभाव अक्सर अधिक होता है क्योंकि ये सीधे सतह को प्रभावित करते हैं।

म्यांमार में आधी रात के बाद 11 बजकर 7 मिनट पर भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 3.9 रिक्टर स्केल पर दर्ज की गई। इस भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 40 किलोमीटर नीचे था, जो इसे मध्यम गहराई वाला भूकंप बनाता है। इस क्षेत्र में भी भूकंप के झटकों को महसूस किया गया, लेकिन फिलहाल किसी नुकसान की सूचना नहीं है।

बंगाल की खाड़ी में आधी रात के बाद 12 बजकर 45 मिनट पर 4.5 की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप का केंद्र 55 किलोमीटर की गहराई में था, जो इसे गहरे भूकंप की श्रेणी में रखता है। बंगाल की खाड़ी समुद्री इलाका है, इसलिए यहां भूकंप के झटकों से सुनामी जैसे खतरे को लेकर भी सतर्कता बरती जाती है।

अलसुबह तिब्बत में 3 बजकर 47 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 3.8 रिक्टर स्केल मापी गई। यह भूकंप भी धरती की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में था। तिब्बत, जो कि हिमालयी क्षेत्र का हिस्सा है, भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यहां टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल अधिक होती है।

भूकंप की प्रकृति और क्षेत्रीय संवेदनशीलता

चीन, म्यांमार और तिब्बत के इलाके भूगर्भीय दृष्टि से सक्रिय क्षेत्रों में आते हैं, जहां टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हिलती और टकराती रहती हैं। यही वजह है कि यहां पर भूकंप की घटनाएं आम होती हैं। खासकर हिमालयी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके भूकंप के लिहाज से उच्च जोखिम वाले क्षेत्र हैं। बंगाल की खाड़ी में भी भूकंप की सक्रियता बनी हुई है क्योंकि यह क्षेत्र समुद्री प्लेटों के बीच होता है, जो अक्सर भूकंप और सुनामी के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

इन भूकंपों की तीव्रता 3.8 से 4.5 तक रही है, जो मध्यम दर्जे के झटके होते हैं। ये झटके सामान्यतः सतही नुकसान नहीं करते, लेकिन यदि किसी क्षेत्र की भूकंपीय संरचना कमजोर हो तो इसके कारण नुकसान हो सकता है। इसलिए इन झटकों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

सतर्क रहने की जरूरत क्यों?

भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप कभी-कभी बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं। इन्हें ‘फोreshocks’ भी कहा जाता है। ये झटके धरती की अंदरूनी सतह में तनाव को दिखाते हैं और जब ये तनाव एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाता है तो बड़े भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए विशेषज्ञ इन घटनाओं की गहराई से मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने आस-पास की भूकंपीय गतिविधियों पर ध्यान दें और ज़रूरी सावधानियां अपनाएं। जैसे कि मजबूत इमारतों में रहें, भारी सामान को सुरक्षित स्थान पर रखें, और भूकंप के दौरान सुरक्षित स्थान पर जाकर अपने आप को सुरक्षित करें। विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं का खास ध्यान रखें।

भूकंप के दौरान क्या करें?

  • भूकंप आने पर तुरंत किसी मजबूत मेज या टेबल के नीचे छिप जाएं।

  • खिड़कियों और भारी वस्तुओं से दूर रहें।

  • दरवाजों और खिड़कियों के पास खड़े होने से बचें।

  • अगर बाहर हैं तो खुले मैदान या सुरक्षित जगह पर चले जाएं।

  • मोबाइल और आपातकालीन नंबरों को तैयार रखें।

  • भूकंप के बाद भी झटकों (aftershocks) से सावधान रहें।

भविष्य में संभावित खतरे और तैयारी

भूकंप वैज्ञानिक लगातार इस क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी भी बड़े भूकंप की पूर्वसूचना मिल सके। हालांकि भूकंप को पूरी तरह से भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं है, लेकिन तकनीक और अध्ययन में निरंतर प्रगति हो रही है। इसके लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर भूकंपीय सुरक्षा उपायों को मजबूत करना आवश्यक है।

सरकार और प्रशासन को भी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन योजनाओं को सक्रिय और प्रभावी बनाना होगा। समय-समय पर भूकंप से बचाव की ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग संकट के समय में सही प्रतिक्रिया कर सकें।

निष्कर्ष

भूकंप के झटकों ने एक बार फिर से यह याद दिला दिया है कि पृथ्वी की सतह स्थिर नहीं है और टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल लगातार जारी है। चीन, म्यांमार, तिब्बत और बंगाल की खाड़ी में आए इन भूकंपों से किसी भी प्रकार के नुकसान की खबर न मिलना राहत की बात है, लेकिन सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है। छोटे-छोटे झटकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये बड़े भूकंप के संकेत हो सकते हैं।


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