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रोते-रोते जा रही बच्चों की जान! उत्तर-पश्चिमी कांगो देश में फैली अजीब बीमारी, 50 से अधिक लोगों की मौत

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Posted On:Thursday, February 27, 2025

इक्वेटर प्रांत, कांगो – उत्तर-पश्चिमी कांगो के इक्वेटर प्रांत में पिछले पांच हफ्तों में 50 से अधिक लोगों की रहस्यमयी बीमारी से मौत हो चुकी है। अधिकारियों के अनुसार, प्रभावित मरीजों की मृत्यु बहुत तेजी से हो रही है, कई मामलों में लक्षण दिखने के कुछ घंटों के भीतर ही मौत हो रही है। इस घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है।

बीमारी के प्रमुख लक्षण

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित मरीजों में कई समान लक्षण देखे गए हैं। इनमें बुखार, ठंड लगना, शरीर में तेज़ दर्द, पसीना आना और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। खास बात यह है कि 59 वर्ष से कम उम्र के लोगों को अत्यधिक प्यास लग रही है, जबकि छोटे बच्चे लगातार रोते रहे।

शुरुआती मामलों में क्या हुआ?

रोग फैलने के पहले मामले बोलोको नामक क्षेत्र में दर्ज किए गए थे, जहां चमगादड़ खाने के 48 घंटे के भीतर तीन बच्चों की मृत्यु हो गई। वहीं, पास के बोमाटे में 400 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की जांच जारी

कांगो सरकार ने 14 फरवरी को इस रहस्यमयी बीमारी की जांच के लिए एक विशेष टीम प्रभावित क्षेत्रों में भेजी थी। इस टीम में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और महामारी विशेषज्ञ शामिल हैं। इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस पर नजर बनाए हुए है और इसकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए गहन जांच कर रहा है।

संभावित कारण और चिंताएँ

शुरुआती आशंका थी कि यह इबोला वायरस का प्रकोप हो सकता है, लेकिन जांच में इसे नकार दिया गया। अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ मलेरिया, वायरल बुखार, टाइफाइड, मेनिन्जाइटिस और दूषित भोजन या पानी से होने वाली बीमारियों की जांच कर रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, सबसे पहले प्रभावित हुए बच्चे वे थे जिन्होंने चमगादड़ का मांस खाया था। इससे जूनोटिक ट्रांसमिशन (जानवरों से इंसानों में बीमारी फैलने) की संभावना बढ़ गई है।

स्थानीय लोग दहशत में

इस बीमारी के कारण पूरे क्षेत्र में भय और अफरा-तफरी का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब मांसाहार से बच रहे हैं और अस्वस्थ लोगों के संपर्क में आने से घबराते हैं।

WHO की चेतावनी

WHO ने अफ्रीका में इस तरह की बीमारियों में वृद्धि को लेकर चिंता जताई है। संगठन का कहना है कि पिछले एक दशक में इस तरह के मामलों में 60% की वृद्धि हुई है। मुख्य कारणों में जंगलों का कटाव और वन्यजीवों के साथ इंसानों का बढ़ता संपर्क बताया जा रहा है।

निष्कर्ष

फिलहाल, यह रहस्यमयी बीमारी कहां से आई और इतनी तेजी से कैसे फैल रही है, यह अभी भी शोध और जांच का विषय बना हुआ है। सरकारी अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां मिलकर इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रही हैं। जब तक सटीक कारणों का पता नहीं चल जाता, स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेने की सलाह दी गई है।


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