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श्रीलंका से आए विहंगा रुकशन भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक को युवाओं में सिखा रहे हैं, मुफ्त में

Photo Source : Her circle

Posted On:Thursday, January 2, 2025


अहमदाबाद न्यूज डेस्क: कथक, भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में एक प्रमुख नृत्य है, जो गाने और वाद्ययंत्रों के साथ प्रस्तुत करने की विशेषता रखता है। इसे सीखना और प्रस्तुत करना बेहद कठिन होता है, लेकिन 31 वर्षीय विहंगा रुकशन इस कला को जीवित रखने के लिए प्रयासरत हैं। वे श्रीलंका के मूल निवासी हैं, लेकिन फिलहाल अहमदाबाद के घाटलोडिया इलाके में निवास करते हैं। खास बात यह है कि विहंगा श्रीलंका और भारत के युवाओं को कथक नृत्य मुफ्त में सिखा रहे हैं।

कथक शब्द का अर्थ है "कथा" या "कहानी", और इसे "कथा कहे सो कथक कहावे" के रूप में व्याख्यायित किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से कोई भी कहानी प्रस्तुत की जा सकती है, जो सीमाओं से परे होती है। इस कला का उद्देश्य केवल दर्शकों तक किसी कहानी को पहुंचाना नहीं, बल्कि उसे एक कला के रूप में प्रस्तुत करना है। आजकल बहुत कम लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य से जुड़े हुए हैं, ऐसे में विहंगा रुकशन जैसे लोग इसे आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

लोकल 18 से बात करते हुए विहंगा ने बताया कि वे दोनों देशों, भारत और श्रीलंका, के युवाओं को कथक सिखाते हैं। विहंगा के पिता महिदा श्रीलंका में एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं, जबकि उनकी मां जीवा प्रियदर्शिनी एक गृहिणी हैं। उनका बड़ा भाई थिसारा खविदा श्रीलंकाई सरकार के आईटी सेक्टर में काम करते हैं, जबकि बहन भग्या सथसरानी होटल कॉरपोरेशन के सेमी-गवर्नमेंट सेक्टर में कार्यरत हैं।

विहंगा का नृत्य से जुड़ाव बचपन में ही शुरू हुआ था। वे स्कूल में अपनी बहन के साथ संगीत कक्षाओं में जाते थे, जहां उन्हें नृत्य के प्रति गहरी रुचि हुई। बाद में, उनके दोस्तों ने कथक सीखना शुरू किया, जिससे विहंगा का कथक के प्रति जुनून और बढ़ गया। 2010 में उन्होंने गुरु मोक्ष समरसूर्या से कथक की ट्रेनिंग शुरू की और एक प्रोग्राम में अपने गुरु को प्रदर्शन करते देख, उन्होंने कथक में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त की।

विहंगा ने गुरु परंपरा के तहत पंडित गुरु विक्रम सिंह को अपना गुरु चुना। उनके पहले गुरु मोक्ष समरसूर्या के गुरु भारत के प्रसिद्ध कथक गुरु बिरजू महाराज थे। बिरजू महाराज ने विहंगा को सलाह दी कि कथक में आगे बढ़ने के लिए भारत आकर अपनी कला को और विकसित करें। विहंगा ने इस सलाह पर गंभीरता से काम करते हुए कथक में अपनी यात्रा को और आगे बढ़ाया।

आज, विहंगा रुकशन ने कथक को जीवित रखने के लिए न केवल अपनी कला का अभ्यास किया है, बल्कि वे इसे नयी पीढ़ी तक पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं, जो एक प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।


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