अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती बताना दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह की जानकारी सार्वजनिक करने से परिवारों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि यदि बाद में पायलट निर्दोष निकलते हैं, तो शुरुआती आरोपों से उनके परिवार को गहरा आघात होगा। इसलिए नियमित जांच पूरी होने तक जानकारी को गोपनीय रखा जाना जरूरी है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि याचिकाकर्ता इतनी सारी जानकारी सार्वजनिक क्यों करना चाहते हैं। इस पर एनजीओ 'सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन' की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि हादसे को 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं और अब तक सिर्फ प्रारंभिक रिपोर्ट ही सामने आई है। इस रिपोर्ट में सुरक्षा उपायों और वास्तविक कारणों पर कुछ नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि जांच टीम में जिन अफसरों को शामिल किया गया है, उन्हीं पर लापरवाही का शक है।
एनजीओ ने याचिका में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें अहम डेटा जैसे फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और एयरक्राफ्ट फ़ॉल्ट रिकॉर्डिंग को छुपा लिया गया है। जबकि रिपोर्ट का पूरा जोर इस बात पर है कि पायलट ने गलती से 'ईंधन कटऑफ स्विच' को गलत पोजीशन में कर दिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह से सारी जिम्मेदारी पायलट पर डालना न्यायसंगत नहीं है।
गौरतलब है कि 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा विमान उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में यात्रियों, चालक दल और जमीन पर मौजूद कुल 265 लोगों की मौत हो गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जांच स्वतंत्र, निष्पक्ष और शीघ्र होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव हो सके।