अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की शुरुआत 11 जून की सुबह बेहद भव्य अंदाज़ में जलयात्रा से हुई। इस खास मौके पर 108 कलशों में साबरमती नदी का पवित्र जल लाकर मंदिर में महाजलाभिषेक किया गया। भगवान जगन्नाथ को इस दौरान गणेश रूप में गजवेश धारण करवाया गया, जिसे देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। दोपहर में महाप्रसाद का आयोजन हुआ, जहां हजारों लोगों ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया और मंदिर परिसर भक्ति के रंग में रंग गया।
जलयात्रा पूरी होने के बाद, परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ सरसपुर स्थित ननिहाल – रणछोड़राय मंदिर की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। इस यात्रा को रथयात्रा की तैयारी का अहम हिस्सा माना जाता है। सरसपुर में भगवान के स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यह रथयात्रा हर साल भक्तों के लिए आस्था का बड़ा प्रतीक बनती जा रही है।
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को रथयात्रा निकाली जाती है। जलयात्रा के बाद भगवान के दर्शन कुछ दिनों तक नहीं होते, जिसे अनासर काल कहा जाता है। 15 दिन के इस अंतराल के बाद भगवान रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं। यह रथयात्रा केवल धार्मिक महत्व नहीं रखती, बल्कि यह अहमदाबाद की संस्कृति और परंपराओं को भी दर्शाती है। पूरा शहर इन दिनों भक्ति, उत्सव और उल्लास के रंग में डूबा नजर आता है।
रथयात्रा के सफल आयोजन के लिए अहमदाबाद पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। इस बार भीड़ को संभालने के लिए पुलिस क्राइम ब्रांच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ले रही है। भगदड़ जैसी घटनाओं से बचाव के लिए शहरभर में निगरानी बढ़ा दी गई है। लाखों श्रद्धालु इस रथयात्रा में हिस्सा लेते हैं, इसलिए ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। यह यात्रा अहमदाबाद के लिए केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है, जिसमें देश-विदेश से लोग भाग लेते हैं।