अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया एआई-171 हादसे को लेकर पायलटों की संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने सख्त रुख अपनाया है। फेडरेशन का आरोप है कि अधिकारियों ने जांच पूरी होने से पहले ही पायलट की गलती को लेकर कहानी हवा देना शुरू कर दिया। इसी वजह से उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को 22 सितंबर को चिट्ठी लिखकर हादसे की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।
FIP का कहना है कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की कार्रवाई जांच की निष्पक्षता और वैधता को खतरे में डाल रही है। फेडरेशन का आरोप है कि 30 अगस्त को कैप्टन सभरवाल के 91 वर्षीय पिता के घर संवेदना दिखाने का बहाना बनाकर अधिकारियों ने हानिकारक आक्षेप लगाए। साथ ही कथित सीवीआर (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग) विश्लेषण को आधार बनाकर यह आरोप लगाया कि टेकऑफ के बाद पायलट ने जानबूझकर फ्यूल कंट्रोल स्विच को कटऑफ पोजिशन में रखा।
पायलटों की संस्था का कहना है कि सीवीआर की जानकारी मीडिया में लीक करना नियमों का उल्लंघन है। नियम 17(5) के तहत कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग जारी करना पूरी तरह वर्जित है। फेडरेशन का आरोप है कि इस तरह की कार्रवाई से 30 साल के कैरियर वाले, 15,000 से अधिक फ्लाइंग आवर वाले एक प्रतिष्ठित पेशेवर के चरित्र को बदनाम किया गया। उनका कहना है कि दुर्घटनाओं की जांच भविष्य में हादसों को रोकने के लिए होती है, दोष थोपने के लिए नहीं।
FIP ने सरकार से तुरंत दखल देने और इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें फ्लाइट ऑपरेशन, एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, एवियॉनिक्स और मानव पहलुओं में विशेषज्ञ शामिल हों। इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 सहित कुल 260 लोगों की मौत हो गई थी।