अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद के सादू माता नी पोल इलाके में हर साल नवरात्र के आठवें दिन एक 200 साल पुरानी परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा में पुरुष साड़ी पहनकर गरबा नृत्य करते हैं, जिसे ‘सदुमा ना गरबा’ कहा जाता है। यह रिवाज एक प्राचीन कहानी से जुड़ा है, जिसमें भक्ति, तपस्या और शाप की घटना शामिल है।
इस अनोखी गरबा परंपरा का एक इंस्टाग्राम रील वायरल हो गया, जिसने पूरे भारत में लोगों का ध्यान खींचा। रील को इंस्टाग्राम पर ओवसम अमदाबाद ने शेयर किया था, कैप्शन के साथ, “अहमदाबाद में सिंपल माता नी पोल में अच्छा गरबा अनुष्ठान।”
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह केवल नृत्य नहीं है, बल्कि सदुबेनी के प्राचीन शाप को याद करने का तरीका भी है। लगभग 200 साल पहले, सदुबेनी ने बरोट समुदाय के पुरुषों से सुरक्षा की मांग की थी जब एक मुगल अधिकारी उसे कुकुटि बनाने के लिए चाहता था। दुर्भाग्यवश, पुरुषों ने उसकी मदद नहीं की और उसका बच्चा खो गया।
गुस्से और दुख में, सदुबेनी ने पुरुषों को शाप दिया कि उनके आने वाले पीढ़ियों में डर पैदा होगा। इसके बाद उसने ‘सती’ कर अपने जीवन का अंत किया। आज भी यह परंपरा समुदाय के लिए उस घटना की याद दिलाती है और उनके नृत्य में श्रद्धा और भक्ति का संदेश जीवित रखती है।