ताजा खबर
अहमदाबाद में गलत दिशा में ड्राइविंग पर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, एक दिन में 2,000 चालान ₹33 लाख वसूले   ||    FIP की सख्त चेतावनी WSJ और रॉयटर्स से माफी मांगने की मांग, कानूनी नोटिस भेजा   ||    रजनीकांत फिल्म की फिल्म ‘कुली’ की स्टोरी सोशल मीडिया पर हुई लीक   ||    FASTag का ऐसे किया प्रयोग तो हो जाएगा ब्लैकलिस्ट, क्या है NHAI का नया नियम?   ||    Earthquake: भारत समेत तीन देशों में भूकंप के झटके, उत्तराखंड के चमोली में 3.3 रही तीव्रता   ||    2025 में लगातार आ रहे भूकंप, कितना बड़ा खतरा? जानिए भविष्य पर क्या कहते हैं साइंटिस्ट   ||    कौन हैं सीपी मोइद्दीन? जिन पर लगा देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप; NIA ने दायर की चार्जशीट   ||    ‘एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता भारत’, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर विदेश मंत्रालय का जवाब   ||    सीरिया के सुवैदा में 5वीं बार टूटा सीजफायर, द्रुज समुदाय पर हुए हमले   ||    कौन हैं Yulia Svyrydenko?, जिन्हें जेलेंस्की ने बनाया यूक्रेन की नई प्रधानमंत्री   ||   

NIA मामलों में धीमी सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- स्पेशल कोर्ट और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Friday, July 18, 2025

मुंबई, 18 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जुड़े मामलों की धीमी सुनवाई पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें समय पर स्पेशल कोर्ट और जरूरी बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं करतीं, तो न्यायालयों के पास विचाराधीन आरोपियों को जमानत देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक आरोपी वर्षों से जेल में बंद है, लेकिन उसके मुकदमे की कार्यवाही अभी तक शुरू भी नहीं हुई है। कोर्ट ने दो टूक कहा कि UAPA और MCOCA जैसे गंभीर प्रावधानों के तहत दर्ज मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए अलग विशेष अदालतों की व्यवस्था अनिवार्य है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने NIA सचिव के हलफनामे पर भी नाराजगी जताई, जिसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि ट्रायल में तेजी लाने के लिए सरकार ने अब तक कौन-से ठोस कदम उठाए हैं। कोर्ट ने दोहराया कि जब कोई व्यक्ति सालों से जेल में है और मुकदमा शुरू नहीं हुआ, तब जमानत देने या न देने का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता का सीधा उल्लंघन बन जाता है। इससे पहले 16 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों में टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की बदहाल स्थिति पर कड़ा रुख अपनाया था। कोर्ट ने कहा था कि 25 में से 20 हाईकोर्ट्स ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि उन्होंने टॉयलेट सुविधाएं सुधारने के लिए कौन-से कदम उठाए हैं। गौरतलब है कि 15 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे कि देश की सभी अदालतों में पुरुष, महिला, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर के लिए अलग-अलग स्वच्छ शौचालय अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराए जाएं। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार बताया।


अहमदाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ahmedabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.