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पूर्व मंत्री रामलाल जाट के खिलाफ CBI जांच पर रोक, सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Monday, February 24, 2025

मुंबई, 24 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पूर्व मंत्री रामलाल जाट, एडीजी आनंद श्रीवास्तव के भाई अरविंद श्रीवास्तव और अन्य आरोपियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी हैं। हाई कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। जिसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच का आदेश देना अनुचित था। राज्य पुलिस पूरी तरह सक्षम है और मामले की निष्पक्ष जांच कर रही है। राज्य सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई जांच केवल असाधारण परिस्थितियों में ही होनी चाहिए और इसे राज्य पुलिस जांच का नियमित विकल्प नहीं बनाया जा सकता हैं। वहीं मामले में परिवादी परमेश्वर जोशी ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए राज्य पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों से सहमत होते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।

सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि हाईकोर्ट ने एक पूर्व मंत्री रामलाल जाट और एक एडीजी स्तर के अधिकारी के भाई की संलिप्तता का हवाला देकर जांच को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया कि उक्त एडीजी अधिकारी का जांच से कोई संबंध नहीं था, क्योंकि उनकी तैनाती पूरी तरह गैर-अपराध शाखा में थी। लेकिन हाई कोर्ट ने बिना किसी सबूत के मामले को राजनीतिक प्रभाव वाला बताया। वहीं हाईकोर्ट ने यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं दिया कि राज्य पुलिस पक्षपाती है या जांच करने में अक्षम है।

दरअसल, कोर्ट के आदेश से भीलवाड़ा के करेड़ा थाने में जयपुर निवासी अरविंद श्रीवास्तव उर्फ मनीष धाबाई, मथुरा निवासी श्यामसुंदर गोयल, गाजियाबाद निवासी चन्द्रकांत शुक्ला, जोधपुर निवासी राजकुमार विश्नोई और जयपुर निवासी जितेन्द्र धाबाई के खिलाफ दर्ज किया गया। इसमें आरोप लगाया कि इन सभी ने मिलकर 2018 से जनवरी 2021 के बीच षड्यंत्रपूर्वक जोशी की खान से एक्सकेवेटर मशीन, डम्पर, डीजल एयर कम्प्रेशर, लेथ मशीन और टेक मशीनें चोरी कर उन्हें उदयपुर और केरल में खुर्दबुर्द कर दिया। वहीं परिवादी की ओर से पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट, सूरज जाट, पूरणलाल गुर्जर, महिपाल सिंह, महावीर प्रसाद चौधरी और सुरेश जाट के खिलाफ दर्ज करवाया था। इसमें आरोप था कि आरोपियों ने खान से मशीनरी और वाहन चुरा लिए और जब पुलिस में मामला दर्ज हुआ, तो जांच के दौरान एक आरोपी ने फर्जी किराए का समझौता पेश कर दिया। इस कथित फर्जी दस्तावेज के आधार पर दो पुलिस अधिकारियों ने केस में नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी।


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