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संविधान पर RSS नेता के बयान को लेकर राहुल गांधी का पलटवार, बोले- इन्हें मनुस्मृति चाहिए, संविधान नहीं

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Posted On:Friday, June 27, 2025

मुंबई, 27 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान में 'सोशलिस्ट' और 'सेक्युलर' शब्दों को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को तीखा जवाब दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा और RSS को संविधान नहीं बल्कि मनुस्मृति चाहिए, क्योंकि संविधान समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है जो उन्हें चुभता है। दरअसल, 26 जून को दिल्ली में 'आपातकाल के 50 साल' पर आयोजित एक कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि मूल संविधान में 'सोशलिस्ट' और 'सेक्युलर' शब्द नहीं थे और इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि इन शब्दों को संविधान में रहना चाहिए या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान की हत्या की गई थी और न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी खत्म कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि उस समय एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला गया, 250 से अधिक पत्रकारों को बंद किया गया और करीब 60 लाख लोगों की जबरन नसबंदी करवाई गई थी। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि अगर ये काम किसी के पूर्वजों ने किया था, तो उन्हें उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।

इन्हीं बयानों के जवाब में राहुल गांधी ने X पर पोस्ट कर लिखा कि भाजपा और RSS बहुजनों और गरीबों से उनका सबसे ताकतवर हथियार, यानी संविधान, छीनना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इनका असली एजेंडा बहुजनों को दोबारा गुलाम बनाना है। इस विवाद के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भाजपा और RSS पर हमला बोला। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा का देश की आज़ादी के आंदोलन या संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा है, इसलिए वे बार-बार आपातकाल की बात दोहराते हैं। खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने अंबेडकर, नेहरू और गांधी की तस्वीरें जलाई थीं और रामलीला मैदान में संविधान की प्रतियां जलाई थीं, क्योंकि वे मनुस्मृति को मानते हैं, न कि संविधान को।

आपको बता दें कि संविधान में 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्दों को 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था, जब देश में आपातकाल लागू था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की थी, जो 21 मार्च 1977 तक लागू रहा। भाजपा इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 25 जून को कैबिनेट बैठक में इस दिन को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया गया और आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा गया।


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