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‘भारत में सबसे बेहतर इंजीनियर और मैनपावर…’, NSE के एमडी आशीष चौहान बोले- ट्रांसपेरेंसी से बढ़ा स्टॉक मार्केट में निवेश

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Posted On:Tuesday, June 3, 2025

भारतीय तकनीक और निवेश जगत के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूता हुआ भारत अब दुनिया की आईटी राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में कैलाशनाथ अधिकारी के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत की विकास गाथा तकनीक से प्रेरित है और अब हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां टेक्नोलॉजी हमारा ईंधन बन गई है।

भारत में आईटी नौकरियों की बूम

चौहान के अनुसार, वर्तमान में भारत में लगभग दो से तीन करोड़ आईटी नौकरियां हैं। यह न केवल देश की तकनीकी शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत आज वैश्विक स्तर पर तकनीक का प्रमुख केंद्र बन चुका है। उन्होंने बताया कि तीन हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय आईटी कंपनियों ने भारत में अपने बेस स्थापित किए हैं। ये कंपनियां भारतीय प्रतिभा और संसाधनों पर भरोसा जताती हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और नौकरियों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

एनएसई की टेक्नोलॉजी में अग्रणी भूमिका

चौहान ने याद किया कि वर्ष 1994 में एनएसई ने भारत का पहला डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया था, जिससे उपग्रह के माध्यम से ट्रेडिंग संभव हो सकी। यह भारत के लिए तकनीकी युग की शुरुआत थी और तभी से देश ने बड़ी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा, “आज टेक्नोलॉजी हमारा फ्यूल है। भारत अब दुनिया की आईटी राजधानी है।”

भारतीय कंपनियों की वैश्विक पहचान

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और इंफोसिस जैसी भारतीय कंपनियां आज विश्व की शीर्ष तकनीकी कंपनियों में शामिल हैं। चौहान ने बताया कि TCS में 7 लाख और इंफोसिस में 5 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी कंपनियां भी अब अपना एआई और विंडोज डेवलपमेंट का काम भारत में करवा रही हैं। दरअसल, माइक्रोसॉफ्ट के 80% विंडोज पार्ट्स भारत में बनते हैं।

भारत का नया मैन्युफैक्चरिंग युग

अब जब iPhone भारत में बनने जा रहे हैं, तो अगले चरण में सर्वर, चिप्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण भी देश में ही होगा। इससे भारत न केवल आईटी में बल्कि मैन्युफैक्चरिंग में भी आत्मनिर्भर बनेगा। चौहान ने इसे ‘पूंजी के बिना पूंजीवाद’ करार दिया – एक ऐसा युग जिसमें आइडिया और टेक्नोलॉजी ही सबसे बड़ी पूंजी होगी।

निवेश की क्रांति: हर कोने तक पहुंच

एनएसई के निवेश पर चौहान ने बताया कि 1994 में देश में केवल 10 लाख निवेशक थे, जो आज बढ़कर 11 करोड़ हो चुके हैं। लद्दाख से लेकर अंडमान और निकोबार, डिब्रूगढ़ से द्वारका तक निवेशकों की मौजूदगी है। भारत के 19,400 पिन कोड्स में से सिर्फ 28 पिन कोड ऐसे हैं जहां कोई निवेशक नहीं है।

उन्होंने बताया कि आज देश के हर पांच में से एक परिवार निवेशक बन चुका है और इनमें से 25% निवेशक महिलाएं हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कैसे भारत में वित्तीय साक्षरता और टेक्नोलॉजी के समावेश ने आम जनता को निवेश की ओर प्रेरित किया है।

छोटे व्यवसायों के लिए बड़ा मंच

एनएसई ने एसएमई एक्सचेंज की शुरुआत की है, जहां छोटे और मध्यम उद्यम अपने लिए साझेदार ढूंढ सकते हैं और पूंजी जुटा सकते हैं। पिछले 10 वर्षों में 600 कंपनियों ने पूंजी जुटाई और अब मुख्य बोर्ड में प्रवेश कर चुकी हैं। इससे ये कंपनियां निवेशकों का विश्वास जीत चुकी हैं।

पारदर्शिता से बढ़ा निवेश

1994 में भारत का स्टॉक मार्केट पूंजीकरण 4 लाख करोड़ रुपये था, जो आज बढ़कर 440 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। चौहान ने इसका श्रेय एनएसई की पारदर्शिता को दिया। उन्होंने बताया कि एनएसई में रोजाना छह घंटे के भीतर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर आते हैं, और 100 माइक्रोसेकंड के भीतर ऑर्डर प्रोसेस होते हैं।

इस तेज और पारदर्शी सिस्टम के कारण ही लोग शेयर बाजार पर भरोसा कर रहे हैं और खुलकर निवेश कर रहे हैं।


निष्कर्ष

भारत आज केवल एक आईटी सेवा प्रदाता नहीं है, बल्कि एक तकनीकी नेतृत्वकर्ता बन चुका है। एनएसई जैसे संस्थान और उनके मुखिया आशीष चौहान जैसे दूरदृष्टा इस बदलाव के मूल में हैं। भारत का भविष्य तकनीक, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन पर आधारित है – और यही हमारे अगले दशक की सबसे बड़ी ताकत बनेगी।


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