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ऋषि के साथ छल कर पिशाच बन गई थी अप्सरा, मुक्ति के लिए रखा था पापमोचनी एकादशी व्रत!

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Posted On:Saturday, March 22, 2025

साल 2025 में पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को रखा जाएगा। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने से मनुष्य अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति पा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि यह एकादशी व्यक्ति को गंभीर से गंभीर पापों से भी मुक्त करने वाली होती है। इस व्रत का विशेष महत्व भविष्य पुराण में बताया गया है।

एकादशी व्रत की तिथि और पारण का समय

इस वर्ष पापमोचनी एकादशी तिथि 25 मार्च 2025 को प्रातः 5 बजकर 5 मिनट से प्रारंभ होगी और यह 26 मार्च को सुबह 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, व्रत 25 मार्च को रखा जाएगा। वहीं, इसका पारण 26 मार्च को किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, उपवास और व्रत का पालन करने से सभी पापों का नाश होता है।

पापमोचनी एकादशी की महिमा और कथा

भविष्य पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से इस व्रत की महत्ता जाननी चाही। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा सुनाई। कथा के अनुसार, च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी अत्यंत तेजस्वी और तपस्वी थे। वे भगवान शिव की कठोर तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या से स्वर्ग के राजा इंद्र भयभीत हो उठे। उन्हें डर था कि यदि मेधावी ऋषि की तपस्या पूर्ण हो गई तो वे अपार शक्तियों के साथ स्वर्ग पर अधिकार कर सकते हैं। इंद्र ने स्वर्ग की सुंदर अप्सरा मंजुघोषा को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा।

ऋषि मेधावी और मंजुघोषा की कथा

मंजुघोषा ने अपनी मनमोहक गायन और नृत्य कला से ऋषि मेधावी का ध्यान भटकाने का प्रयास किया। आरंभ में ऋषि तपस्या में लीन रहे, लेकिन कुछ समय बाद वे मंजुघोषा के आकर्षण में फंस गए। उन्होंने तपस्या छोड़ दी और मंजुघोषा के साथ कई वर्षों तक समय व्यतीत किया। जब मंजुघोषा ने स्वर्ग लौटने की इच्छा जताई, तब ऋषि को अपनी भूल का एहसास हुआ। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाच बनने का श्राप दे दिया।

पापमोचनी एकादशी व्रत से मिला उद्धार

श्रापित मंजुघोषा भयभीत होकर ऋषि से श्राप से मुक्ति का उपाय पूछती है। तब ऋषि मेधावी उसे बताते हैं कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने से वह अपने पापों से मुक्त हो सकती है। मंजुघोषा ने पूरी श्रद्धा और नियम से पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से वह पिशाच योनि से मुक्त हो गई और पुनः स्वर्ग लौट गई। तभी से इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाने लगा।

व्रत का महत्व और लाभ

पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति अपने जीवन में जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है। इस दिन उपवास, भगवान विष्णु का स्मरण, पूजा और दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और व्यक्ति के समस्त दुखों का अंत होता है।


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