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शोशना चैटफील्ड कौन, जिन्हें ट्रंप ने किया बर्खास्त? क्यों लिया इतना बड़ा फैसला

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Posted On:Tuesday, April 8, 2025

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा और चौंकाने वाला कदम उठाते हुए नाटो की सैन्य समिति में अमेरिकी प्रतिनिधि वाइस एडमिरल शोशना चैटफील्ड को पद से बर्खास्त कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका और नाटो के संबंधों में पहले ही तनाव चल रहा है। चैटफील्ड की बर्खास्तगी से रक्षा और रणनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और इस फैसले के पीछे की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

बिना वजह बताए अचानक हटाया गया टॉप अधिकारी

व्हाइट हाउस या पेंटागन की ओर से इस बर्खास्तगी का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, लेकिन रॉयटर्स और पोलिटिको की रिपोर्टों के अनुसार, यह फैसला वाइस एडमिरल की कुछ टिप्पणियों के चलते लिया गया है, जिनमें उन्होंने सैन्य बल में विविधता (Diversity in the Force) की वकालत की थी।

यह मुद्दा अमेरिका में लंबे समय से राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है – एक ओर जहां प्रगतिशील सोच वाले लोग विविधता को ताकत मानते हैं, वहीं रूढ़िवादी गुट इसे सैन्य अनुशासन और पारंपरिक संरचना के लिए खतरा मानते हैं। शोशना चैटफील्ड इसी बहस के केंद्र में आ गई थीं।

कौन हैं शोशना चैटफील्ड?

59 वर्षीय वाइस एडमिरल शोशना चैटफील्ड अमेरिकी नौसेना की एक अनुभवी अधिकारी हैं। वह एक कैरियर हेलीकॉप्टर पायलट हैं और उन्होंने अमेरिकी नौसेना के विभिन्न मिशनों में अहम भूमिका निभाई है। 2019 में वह नेवल वॉर कॉलेज की पहली महिला अध्यक्ष बनीं, जहां उन्होंने नेतृत्व में समावेशिता और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा दिया।

उनके सैन्य करियर में कुछ प्रमुख भूमिकाएं रही हैं:

  • ब्रुसेल्स (2015–2017) में अमेरिका की ओर से उप सैन्य प्रतिनिधि

  • मॉन्स, बेल्जियम स्थित नाटो मिलिटरी हेडक्वार्टर में सीनियर मिलिटरी सहयोगी

  • वाइस एडमिरल के रूप में उनकी पदोन्नति पेंटागन की गर्भपात यात्रा नीति पर सीनेटर टॉमी ट्यूबरविल द्वारा लगाई गई रोक हटने के बाद हुई थी।

डोनाल्ड ट्रंप और नाटो: एक जटिल रिश्ता

ट्रंप का नाटो के प्रति रुख हमेशा से ही संदेह और आलोचना से भरा रहा है। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने अक्सर यह आरोप लगाया कि अमेरिका अकेला नाटो का भार उठा रहा है, जबकि बाकी सदस्य देश अपेक्षित योगदान नहीं कर रहे हैं। ट्रंप ने नाटो की रणनीतियों पर सवाल उठाते हुए यह संकेत भी दिया था कि अमेरिका को नाटो से अलग होने पर विचार करना चाहिए।

अब, जब ट्रंप फिर से अमेरिकी राजनीति के केंद्र में हैं, उन्होंने अपने पुराने रुख को ही दोहराया है। शोशना चैटफील्ड की बर्खास्तगी इसी नीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें ट्रंप नाटो के साथ अमेरिका की भूमिका को पुनः परिभाषित करना चाहते हैं।


Diversity पर विवाद: विचारधारा का टकराव

वाइस एडमिरल चैटफील्ड की जिस टिप्पणी को विवाद की जड़ माना जा रहा है, वह उनके 2019 के एक बयान से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने कहा था –
"एक समावेशी बल ही एक मजबूत बल होता है। जब हम विविधता को अपनाते हैं, तभी हम नवाचार और नेतृत्व में श्रेष्ठता प्राप्त करते हैं।"

हालांकि यह बयान आम तौर पर सकारात्मक और प्रेरणादायक माना जाता, लेकिन अमेरिका की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में यह एक विचारधारात्मक टकराव का मुद्दा बन गया। ट्रंप और उनके समर्थक "वोक कल्चर" (woke culture) और विविधता की अति पर आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप के कई समर्थक मानते हैं कि सैन्य बल को सामाजिक प्रयोग की जगह नहीं बनाना चाहिए।

बर्खास्तगी के पीछे का राजनैतिक संकेत

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम के पीछे ट्रंप का साफ संदेश है – अमेरिका की सैन्य और कूटनीतिक नीतियां अब "रूढ़िवादी" ढांचे में वापस लौटेंगी। चैटफील्ड जैसे अधिकारियों को हटाकर ट्रंप यह संकेत देना चाहते हैं कि "विविधता" जैसे मुद्दों पर अब कम और सैन्य प्रभावशीलता पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

ट्रंप के इस निर्णय को 2024 में राष्ट्रपति चुनावों की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वह अपने "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के तहत अब नाटो और वैश्विक मंचों पर अमेरिका की भूमिका को सीमित करने की कोशिश में हैं।

नाटो पर क्या होगा असर?

शोशना चैटफील्ड की बर्खास्तगी केवल अमेरिका की आंतरिक राजनीति तक सीमित नहीं है, इसका असर नाटो पर भी पड़ सकता है। अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा सैन्य और वित्तीय योगदानकर्ता देश है, ऐसे में उसकी ओर से आए इस तरह के सख्त कदम गठबंधन के भीतर असहजता पैदा कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय अमेरिका और नाटो के बीच पहले से चल रही सहयोग की दरार को और गहरा कर सकता है। कई नाटो सदस्य देश, खासकर यूरोपीय राष्ट्र, अमेरिका की इस नई दिशा को लेकर चिंतित हैं।

महिला नेतृत्व को लेकर भी सवाल

चैटफील्ड की बर्खास्तगी एक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका सहित दुनिया भर में महिला नेतृत्व और लैंगिक समानता को लेकर लगातार पहल की जा रही है। इस फैसले को कुछ वर्ग महिला नेतृत्व को दबाने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं।

यह भी एक तथ्य है कि चैटफील्ड ने न सिर्फ एक उच्च सैन्य अधिकारी के रूप में, बल्कि एक प्रेरणादायक महिला लीडर के तौर पर भी पहचान बनाई थी। उनकी बर्खास्तगी को केवल नीतिगत नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया: "यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला"

डेमोक्रेटिक पार्टी और कुछ रक्षा विशेषज्ञों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम अमेरिका की लोकतांत्रिक और उदार सैन्य परंपरा के खिलाफ है। एक वरिष्ठ डेमोक्रेटिक सीनेटर ने कहा, "हमारे सैन्य नेतृत्व में विविधता को हटा देना सिर्फ संस्थाओं को कमजोर करेगा, न कि मजबूत बनाएगा।"

उन्होंने यह भी कहा कि यह बर्खास्तगी अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती है और यह संदेश देगा कि अमेरिका अब केवल कठोर सैन्य शक्ति में विश्वास करता है, संवाद और सहयोग में नहीं।

नया राजदूत और नाटो डिफेंस टॉक: क्या है कनेक्शन?

चैटफील्ड की बर्खास्तगी ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने नाटो में अपने नए राजदूत की पुष्टि की है और एक अहम नाटो डिफेंस टॉक की भी घोषणा की गई है। इन घटनाओं को जोड़कर देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप प्रशासन नाटो में अपनी आवाज़ और नीति को फिर से परिभाषित करना चाहता है।

नई नियुक्तियों और चैटफील्ड की बर्खास्तगी के ज़रिए अमेरिका शायद यह संकेत देना चाहता है कि वह अब नाटो में एक अलग और निर्णायक भूमिका निभाने वाला है।


निष्कर्ष: क्या चैटफील्ड बलि का बकरा बनीं?

वाइस एडमिरल शोशना चैटफील्ड की अचानक बर्खास्तगी न सिर्फ एक व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि यह अमेरिकी रक्षा नीति और कूटनीतिक दृष्टिकोण में गहरे बदलाव का संकेत भी है। उनके हटाए जाने से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अमेरिकी सेना में अब विचारों और मूल्यों की विविधता के लिए कोई जगह नहीं रही?

डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की जो दिशा बन रही है, वह कई लोगों के लिए चिंता का विषय है – विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो एक संतुलित, समावेशी और संवादात्मक वैश्विक व्यवस्था में विश्वास रखते हैं।

आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका नाटो में अपनी भूमिका को घटाएगा या फिर उसे अपनी सोच के मुताबिक ढालने की कोशिश करेगा। एक बात तो तय है – शोशना चैटफील्ड की बर्खास्तगी केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि अमेरिका की बदलती रणनीति की प्रतीक बन गई है।


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