30 जुलाई 2025 को रूस की धरती पर एक बड़ा प्राकृतिक संकट टूटा। सुबह-सुबह आए भूकंप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8 मापी गई, जो बेहद शक्तिशाली मानी जाती है। इसका केंद्र रूस के कामचटका प्रायद्वीप में पेट्रोपावलोव्स्क शहर के पास बताया गया है। अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार यह भूकंप समुद्र के अंदर करीब 19 किलोमीटर गहराई में आया, जिससे समुद्र में 3-4 मीटर ऊंची लहरें उठने लगीं। इन लहरों ने सुनामी के खतरे को जन्म दे दिया है।
कई देशों में अलर्ट, करोड़ों की जान खतरे में
भूकंप के तुरंत बाद अमेरिका, जापान, फिलीपींस, इंडोनेशिया और हवाई समेत प्रशांत महासागर के सभी तटीय इलाकों में सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया। जापान के कई शहरों में सायरन बजने लगे हैं और लोगों को तटवर्ती इलाकों से निकालने का काम तेज कर दिया गया है। जापान सरकार ने 9 लाख लोगों को रेस्क्यू करने का आदेश दिया है। फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी खाली करा लिया गया है, ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।
जापान के इशिनोमाकी बंदरगाह पर करीब 50 सेंटीमीटर ऊंची लहरें दर्ज की गई हैं। भले ही ये लहरें अभी ज्यादा खतरनाक नहीं हैं, लेकिन इनके बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। जापान की वेदर एजेंसी और अमेरिकी मौसम विभाग ने चेताया है कि सुनामी की लहरें अचानक उग्र रूप ले सकती हैं, इसलिए लोगों को समुद्र किनारे से दूर रहने के लिए कहा गया है।
अमेरिका में भी प्रभाव, हवाई में स्कूल बंद
भूकंप का असर अमेरिका तक पहुंच गया है। हवाई के होनोलूलू में सुनामी चेतावनी के कारण भारी यातायात जाम हो गया है। हजारों लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। प्रशासन ने स्कूलों को बंद कर दिया है और आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है। अमेरिका के पश्चिमी तट और अलास्का में भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
वैज्ञानिकों ने बताया भूकंप का कारण
भूवैज्ञानिकों के अनुसार यह भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स की टक्कर के कारण आया है। कामचटका प्रायद्वीप जिस क्षेत्र में स्थित है, वह भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। यह क्षेत्र पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है। यहां पर जमीन के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार सरकती रहती हैं, जिससे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट आम हैं।
राहत कार्य शुरू, लेकिन चुनौतियां भी बड़ी
रूस में भूकंप आने के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन, आपदा प्रबंधन एजेंसियों और रेस्क्यू टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। हालांकि कामचटका का इलाका बीहड़ और जटिल भौगोलिक संरचना वाला है, इसलिए राहत कार्यों में बाधाएं आ रही हैं। स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने के लिए हेलीकॉप्टर और नौकाओं की मदद ली जा रही है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी इस आपदा की जानकारी दे दी गई है, और उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रभावित लोगों की हर संभव मदद की जाए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार फिलहाल किसी जानमाल के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, स्थिति की गंभीरता और अधिक स्पष्ट होगी।
क्या भारत पर असर होगा?
फिलहाल भारत में भूकंप या सुनामी का कोई सीधा प्रभाव देखने को नहीं मिला है, लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) इस आपदा पर नजर बनाए हुए है। सरकार ने तटीय क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और नागरिकों को अफवाहों से बचने की अपील की है।
निष्कर्ष:
रूस में आए इस भयानक भूकंप ने दुनिया को एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना असहाय है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि यह संकट कितना बड़ा रूप लेता है और दुनिया कितनी तेजी से इसके परिणामों से निपटने के लिए एकजुट हो पाती है। फिलहाल, प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन सुनामी की आशंका ने चिंता को और बढ़ा दिया है।