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सीरम इंस्टिट्यूट ने मंकीपॉक्स वैक्सीन बनाने का किया ऐलान, CEO ने कहा, एक साल में तैयार करने की है उम्मीद, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, August 20, 2024

मुंबई, 20 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सीरम इंस्टिट्यूट ने मंकीपॉक्स वैक्सीन बनाने का ऐलान किया है। कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया, मंकीपॉक्स के ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित होने के बाद लाखों लोगों की मदद करने के लिए हम एक वैक्सीन विकसित कर रहे हैं। उम्मीद है कि एक साल के अंदर हम इसे बना लेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच देश के सभी पोर्ट और एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को बाहर से आने वाले यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षणों को लेकर सतर्क रहने के लिए कहा है। फिलहाल भारत में अभी मंकीपॉक्स से कोई संक्रमित नहीं है। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में केंद्र के तीन बड़े अस्पतालों, राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग में नोडल सेंटर्स बनाए हैं। इन अस्पतालों में मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। साथ ही, केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को उनके राज्य के अस्पतालों में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए जरूरी व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक के आकलन के मुताबिक, मंकीपॉक्स के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम है। इसे शॉर्ट में Mpox कहते हैं।

आपको बात दें, भारत में 2022 के बाद अब तक मंकीपॉक्स के 30 मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 लेबोरेटरी हैं। WHO के मुताबिक, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। तो वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। यह 2 साल में दूसरी बार है, जब इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी बताया गया है। WHO इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। इसके बाद ये तेजी से पड़ोसी देशों में फैली। अफ्रीका के 10 देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। कोरोना की तरह यह ट्रैवलिंग से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है।


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