मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अंग्रेजी भाषा को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि यह भाषा सशक्तिकरण का माध्यम है, न कि शर्म का कारण। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अंग्रेजी पुल है, जो अवसरों से जोड़ती है, न कि कोई दीवार या बंधन है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस नहीं चाहते कि गरीब बच्चे अंग्रेजी सीखें, क्योंकि वे नहीं चाहते कि वे सवाल करें, बराबरी हासिल करें और आगे बढ़ें। राहुल गांधी का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी के बाद आया जिसमें शाह ने कहा था कि भारत में जो लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें जल्द ही शर्म महसूस होगी। राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा कि अंग्रेजी कोई जंजीर नहीं बल्कि वह औजार है जो जंजीरें तोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में अंग्रेजी भाषा उतनी ही आवश्यक है जितनी कोई भी मातृभाषा, क्योंकि यही रोजगार दिला सकती है और आत्मविश्वास बढ़ा सकती है। उन्होंने भारत की सभी भाषाओं की आत्मा, संस्कृति और ज्ञान का सम्मान करने की बात कही, लेकिन साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी सिखाने की जरूरत भी जताई, ताकि हर बच्चे को बराबरी का मौका मिल सके और भारत दुनिया का मुकाबला कर सके।
दूसरी ओर, अमित शाह ने देश की भाषाओं को लेकर बयान देते हुए कहा कि अपनी संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए कोई विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भारत की संपूर्ण कल्पना अधूरी विदेशी भाषाओं के माध्यम से नहीं की जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक कठिन लड़ाई है लेकिन उन्हें विश्वास है कि भारतीय समाज इसे जीतकर अपने देश को अपनी भाषाओं में चलाएगा और दुनिया का नेतृत्व करेगा। भाषा पर छिड़ी इस बहस में तृणमूल कांग्रेस भी कूद गई है। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि भारत में 22 संवैधानिक भाषाएं और करीब 19,500 भाषाएं और बोलियां हैं, और यही हमारे देश की विविधता में एकता को दर्शाता है। उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और उनका समूह इस विविधता को कभी नहीं समझ पाएगा। टीएमसी की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने भी कहा कि भारतीयों को किसी भी भाषा को लेकर शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।