मुंबई, 10 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति स्थापित होने के दावे को विचित्र और वास्तविकता से दूर बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि शाह द्वारा किए गए दावे बेतुके और निराधार हैं और यह उनकी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने का एक प्रयास है। रमेश का यह बयान 9 जून को अमित शाह द्वारा एक्स पर किए गए उस पोस्ट के बाद आया जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के 11 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख किया था। शाह ने लिखा था कि इन वर्षों में देश ने नक्सलवाद, आतंकवाद और अलगाववाद पर निर्णायक प्रहार किया है और भारत अब आतंकवादियों के घर में घुसकर जवाब देता है।
जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर आज भी हिंसा और अराजकता से जूझ रहा है, जहां राष्ट्रपति शासन पूरी तरह विफल साबित हुआ है। राज्य की जनता की रोजमर्रा की जिंदगी असुरक्षित और असहज बनी हुई है, जिससे आम नागरिकों में पीड़ा और गुस्सा है। रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि स्वतंत्र भारत में शायद ही कोई ऐसा गृह मंत्री रहा हो जिसने शेखी बघारने के अलावा कुछ ठोस नहीं किया हो। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर गृह मंत्री की सबसे बड़ी उपलब्धि उनके बेटे का करियर है, तो वह भी जनता देख रही है। उन्होंने केंद्र पर यह भी आरोप लगाया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों को अब तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। इस हमले में 26 टूरिस्ट मारे गए थे और हमलावरों की पहचान होने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। रिपोर्टों के अनुसार ये आतंकवादी पहले भी पुंछ और गुलमर्ग में हमले कर चुके हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा था कि भारत तेजी से रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के रास्ते पर चल रहा है और मोदी 3.0 सरकार आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में देश को आगे ले जा रही है। उन्होंने भारत को हर क्षेत्र में नंबर एक बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई थी। मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष जारी है। अब तक 300 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं और 70 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। राज्य में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है लेकिन विधानसभा भंग नहीं की गई है, सिर्फ निलंबित है। हाल ही में राज्य के 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखकर तुरंत लोकप्रिय सरकार बनाए जाने की मांग की थी, जिसमें भाजपा के 14 विधायक भी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के पांच साल पूरे हो चुके हैं। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था और सरकार ने दावा किया था कि इससे क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास आएगा। लेकिन इसके बावजूद आतंकी घटनाएं जारी हैं। हाल ही में हुए पहलगाम हमले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे और हमलावर अब भी फरार हैं।